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मानसून सत्र : विधानसभा में उछला शराब बंदी और सेस का मुद्दा, वाकआउट

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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में दूसरे दिन शराबबंदी का मामला उछला। सूबे में पूर्ण शराब बंदी करने की मांग और शराबबंदी के लिए गठित कमेटी का मामला नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने उठाया।

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कौशिक ने सदन में आबकारी मंत्री से सवाल किया कि “सामाजिक कमेटी का गठन कब हुआ और बैठकें कब हुई ?” कौशिक के इस सवाल का जवाब देते हुए आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि “पूर्ण शराबबंदी लागू करने 2019 में तीन कमेटियों का गठन किया गया है। राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक कमेटियों का गठन हुआ है। कोरोना काल की वजह से बैठकें प्रभावित हुई है।”

इसके बाद आबकारी मंत्री की तरफ से सदन में मंत्री मो. अकबर ने जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि “सामाजिक कमेटी में 21 समाजों के प्रतिनिधि शामिल है। इसकी अधिसूचना में लिखा है कि सामाजिक संगठनों के अध्यक्ष या सदस्य कमेटी में लिए जाएंगे।”

इस पर कौशिक ने तंज़ कसते हुए कहा कि “2019 में समिति का गठन हुआ, लेकिन इसकी गम्भीरता देखिए सरकार के जवाब में ये नहीं बताया गया कि किस समाज के अध्यक्ष को कमेटी में लिया गया। ढाई सालों में कमेटी की एक भी बैठक नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यदि बैठकें नहीं हो पा रही हैं तो इन कमेटियों को भंग कर दिया जाना चाहिये।”

सेस मामलें में हंगामा वाकआउट

शराबबंदी के अलावा विधानसभा के मानसून सत्र में शराब पर सेस का मामला भी गरमाया। विधायक अजय चंद्राकर ने सवाल किया कि “विशेष कोरोना शुल्क से मिली राशि स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित क्यों नहीं दिया गया?”

चंद्राकर के इस सवाल का जवाब देने आबकारी मंत्री की तरफ से मंत्री मो. अकबर ने खड़े हुए। उन्होंने सदन में कहा राशि की जब ज़रूरत होगी तब हस्तांतरित की जाएगी।

इसके ठीक बाद अजय चंद्राकर ने कहा स्वामी आत्मानंद अंग्रेज़ी स्कूल के लिए 36 करोड़ रुपये कहां से दिए गये ? मंत्री मो. अकबर ने जवाब देते हुए कहा स्कूल के कि ये राशि दी गई है शेष राशि जमा है।

जिस पर चंद्राकर ने कहा सदन में दो उत्तर आ रहे है, मंत्री ने कहा कि पूरी राशि जमा है और अब कह रहे हैं स्कूल के लिए राशि दी गई।

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चंद्राकर ने फिर सवाल पूछा कि कोरोना के लिए जब राशि ली जा रही है तो क्या उसे दूसरे मदों में खर्च किया जा सकता है ? सदन में सरकार और विपक्ष के बीच तल्ख बहस हुई और आखिरकार विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया।