नई दिल्ली : यूपी में कांवड़ यात्रा पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्य को हरिद्वार से गंगाजल शिव मंदिरों में लाने के लिए कांवडिय़ों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
हालांकि ये सदियों पुरानी प्रथा है और धार्मिक भावनाओं को देखते हुए राज्य को टैंकरों के माध्यम से पवित्र गंगाजल उपलब्ध कराने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए। राज्य सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए श्रद्धालुओं के बीच गंगाजल का वितरण सुनिश्चित करें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
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सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा कि हम केवल प्रतीक के तौर पर कांवड़ यात्रा चाहते हैं। कोर्ट यूपी में सौ फीसदी कांवड़ यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती। सर्वोच्च अदालत में अब ये मामला सोमवार को सुना जाएगा। यूपी सरकार को एक बार फिर सोमवार को अपना जवाब देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ये हर किसी के लिए काफी अहम विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति का जीवन सबसे अहम हैं। धार्मिक और अन्य भावनाएं मौलिक अधिकार के अधीन ही हैं।
अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा था कि प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह रोक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा है कि कांवड़ यात्रा सांकेतिक रूप से चलाई जाएगी। साथ ही सरकार द्वारा इसको लेकर गाइडलाइन्स बनाई जा सकती हैं।
वहीं, अदालत में केंद्र द्वारा जानकारी दी गई है कि राज्य सरकार को प्रोटोकॉल के तहत उचित निर्णय लेना चाहिए। केंद्र सरकार के द्वारा सभी एडवाइजरी पहले ही जारी की जा चुकी हैं।
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केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि कांवड़ यात्रा को उत्तराखंड जाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए, हालांकि गंगाजल को ऐसी जगह उपलब्ध करवाना चाहिए ताकि कांवडिय़ें पास के शिव मंदिर में पूजा कर सकें।
कोरोना संकट को देखते हुए इस बार उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है। हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्ण तरीके से रोक नहीं लगाई गई थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया गया था।
कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड पुलिस अब सख्त हो गई है। 24 जुलाई से हरिद्वार बॉर्डर को कांवडिय़ों के लिए सील कर दिया जाएगा। डीजीपी की ओर से ये निर्देश दिए गए हैं। एक्सपर्ट्स द्वारा लगातार चेतावनी दी जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर कभी भी दस्तक दे सकती है। पहाड़ी इलाकों में उमड़ रही भीड़ पर भी सरकार की ओर से चिंता व्यक्त की गई है। ऐसे में कांवड़ यात्रा को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे थे।