नईदिल्ली। देश की पहली एमआरएनए वैक्सीन पर परीक्षण का एक चरण डीबीटी विभाग के विशेषज्ञों ने पूरा कर लिया है। यह वैक्सीन अगले साल तक मिलने की उम्मीद है जिसकी कम से कम एक खुराक के जरिए ही पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित हो सकती हैं।
भारत सरकार के डीबीटी विभाग के विशेषज्ञों की मदद से तैयार इस वैक्सीन को पहले जानवरों में जांचा गया और इसके बाद मानव परीक्षण शुरू किया गया। फिलहाल पहला चरण पूरा हो चुका है लेकिन अभी भी दो चरण पूरा होना बाकी हैं।
विशेषज्ञ समिति से साझा किए जाएंगे परिणाम
जानकारी के अनुसार जेनोवा फॉर्मा कंपनी ने एमआरएनए वैक्सीन को तैयार किया है। कंपनी की निगरानी में देश के अलग-अलग अस्पतालों में इस पर अध्ययन चल रहा है। अभी पहले चरण का परीक्षण पूरा हो चुका है जिसे कंपनी इसी सप्ताह में विशेषज्ञ कार्यकारी समिति (एसईसी) के हवाले करने जा रही है। इस परीक्षण परिणाम के आधार पर ही एसईसी आगे के परीक्षण को लेकर फैसला लेगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले चरण के दौरान वैक्सीन में यह देखा जाता है कि कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन रही हैं अथवा नहीं। अभी तक की जो जानकारी सामने आई है उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारत की पहली एमआरएनए वैक्सीन कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित करने में सफल रही है लेकिन अभी इसकी सुरक्षा और एंटीबॉडी के स्तर का पता लगाया जाना जरूरी है। इसीलिए कंपनी को अगले दोनों चरण पूरा करने की अनुमति दी जा सकती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वैक्सीन विज्ञान को लेकर भारत एक अनूठी और ऐतिहासिक लड़ाई लड़ रहा है। कोवाक्सिन के जरिए भारत ने पहली ऐसी वैक्सीन उपलब्ध कराई है जिसे कोरोना वायरस के जरिए बनाया गया है।
इसके अलावा जाइडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन भी तैयार हो चुकी है। अब एमआरएनए वैक्सीन पर काम चल रहा है। अलग अलग तकनीकों के आधार पर कोरोना की वैक्सीन बनाने वाला भारत दुनिया का दूसरा देश होगा। अमेरिका के बाद भारत में न सिर्फ खोज बल्कि वैक्सीन उत्पादन भी काफी हो रहा है।