कोरबा : निर्माणाधीन मकान में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों के सरकारी गणवेश पाए जाने के मामले में कोरबा बीईओ कार्यालय के लिपिक को निलंबित कर दिया गया है। जांच में पाया गया कि इंटरनेट मीडिया पर वायरल गणवेश के वीडियो फुटेज उसी के घर के हैं। इसके कुछ दिन के बाद नक्टीखार के नाले में मिले 500 गणवेश भी उसी के घर से लाकर फेंके गए थे। निलंबन अवधि में लिपिक को करतला में संलग्न किया गया है।
शहर से लगे ग्राम नकटीखार के नाले में बहते हुए गणेवश पाए गए थे। लापरवाही उजागर होने के बाद कोरबा कलेक्टर रानू साहू के कहने पर शिक्षा विभाग ने इसकी जांच शुरू कर दी थी। बीईओ संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी नकटीखार के नाले पहुंची तोए यहां से नाले में बहते हुए स्कूल ड्रेस को पंचनामा बनाकर कार्यालय लाया गया। जानकारी में यह भी पाया गया कि ड्रेस पांच साल पहले के लाट का है।
डीईओं सतीश पांडे ने बताया कि इस दौरान गणवेश गोदाम का प्रभारी धीरज आर्य थे। मामला उजागर होते ही क्लर्क ने कहा था कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं। मामले में पहले प्रथम दृष्टया में जिम्मेदार धीरज आर्य ही हैं। इसके पहले भी उसके निर्माणाधीन घर में गणवेश मिले थे। जिसके फुटेज में पाए गए और नाले में मिले गणवेश में मेल खाता है।
डीइओ पांडेय का कहना है जब उसके अधूरे मकान में गणवेश मिले थे तो इसकी जानकारी उसे विभाग को देनी थी। अधिकारी ने बताया कि मामले में साक्ष्य प्रभावित ना हो इस वजह से लिपिक को निलंबन अवधि में करतला में अटैच किया गया। उन्होने बताया कि विभागीय जांच जारी रहेगी। मामले में अन्य संलिप्त दोषियों की जांच कर उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।