बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में निगम, मंडल और आयोगों में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां की गई। इसी क्रम में भूपेश बघेल सरकार ने कार्यकाल खत्म होने के पहले ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सियाराम साहू को हटाकर उनके स्थान पर थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी। इसके खिलाफ सियाराम ने कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है। इसी के साथ ही सियाराम के एक बार फिर आयोग के अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ हो गया है।
पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में साहू समाज के सियाराम साहू को 28 जुलाई को छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने चार अगस्त को पद भार संभाला। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई थी।
उनका कार्यकाल चार अगस्त 2021 तक था। इस बीच राज्य में भूपेश सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें पिछले साल पद से हटा दिया। उनके स्थान पर थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी गई। राज्य सरकार के इस फैसले को सियाराम ने अपने वकील यूएनएस देव और सतीश गुप्ता के जरिए हाई कोर्ट में चुनौती दी।
याचिका में सियाराम ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सरकार पर द्वेषपूर्वक पद से हटाने का आरोप लगाया था। उन्होंने सरकार के फैसले को रद्द करने की मांग हाईकोर्ट से की थी। प्रकरण पर जस्टिस पी सैम कोशी की एकलपीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही सियाराम साहू के एक बार फिर राज्य पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी होगी। वहीं थानेश्वर साहू को पद से हटना होगा।