नई दिल्ली : भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने गैर-मुस्लिम शरणार्थियों की नागरिकता को लेकर बड़ा फैसला किया है। देश के 13 जिलों में रहे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का मोदी सरकार ने फैसला किया है।
इसके लिए केंग्र सरकार ने आवेदन मंगाए हैं। गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों ये गैर-मुस्लिम शरणार्थियों रह रहे हैं। जिनका धर्म हिंदू, जैन, सिख या फिर बौद्ध है।
सरकार ने इनसे भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाए हैं।नागरिकता कानून 1955 और 2009 में बने कानून के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आदेश के तत्काल कार्यान्वयन के लिए एक अधिसूचना जारी की है।
शुक्रवार (28 मई) को जारी एक अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा कि गुजरात में मोरबी, राजकोट, पाटन और वडोदरा, छत्तीसगढ़ में दुर्ग और बलौदाबाजार, राजस्थान में जालोर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर और सिरोही, हरियाणा में फरीदाबाद और पंजाब के जालंधर में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देश दिया गया है।
नागरिकता कानून 1955 की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मंत्रालय ने कानून की धारा पांच के तहत यह फैसला किया है।
जारी अधिसूचना के अनुसार नागरिकों के रूप में पंजीकरण या देशीयकरण के प्रमाण पत्र के के लिए आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदन का सत्यापन जिला स्तर और राज्य स्तर पर कलेक्टर या सचिवों द्वारा एक साथ किया जाएगा। आवेदन और उसकी रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर केंद्र सरकार को एक साथ उपलब्ध कराई जाएगी।
हालांकि केंद्र सरकार ने 2019 में लागू संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नियमों फिलहाल तैयार नहीं किया है। नागरिकता संशोधन कानून 2019 में बनाया गया था। सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान शोषित किए गए ऐसे अल्पसंख्यक गैर-मुस्लिमों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, जो 31 मई 2014 तक भारत आ गए थे।