नई दिल्ली। भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस ने सफल परीक्षणों के बाद 5वीं पीढ़ी की Python-5 एयर-टू-एयर मिसाइल (एएएम) को अपने हथियारों के बेड़े में शामिल कर लिया।
इन परीक्षणों का उद्देश्य तेजस में पहले से ही समन्वित डर्बी बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) एयर-टू-एयर मिसाइल (एएएम) की बढ़ी हुई क्षमता का आकलन करना भी था। गोवा में किये गयेइस निशानेबाजी परीक्षण (टेस्ट फायरिंग) ने बेहद चुनौतीपूर्ण परिदृश्यों में इस मिसाइल के प्रदर्शन को सत्यापित करने के लिए उससे जुड़ी परीक्षणों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया।
डर्बी मिसाइल द्वारा तेज गति के साथ पैंतरेबाज़ी करने वाले एक हवाई लक्ष्य पर सीधा प्रहार करने में सफल रहनेऔर Python-5 मिसाइलों द्वारा भी निशानेबाजी का शत–प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के साथ उनकी संपूर्ण क्षमता का सत्यापन हुआ। इन परीक्षणों ने अपने सभी नियोजित उद्देश्यों को पूरा किया।
इन परीक्षणों से पहले, तेजस में लगी एवियोनिक्स, फायर-कंट्रोल रडार, मिसाइल वेपन डिलीवरी सिस्टम और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जैसे विमान प्रणालियों के साथ इस मिसाइल के समन्वय का आकलन करने के लिए बेंगलुरु में मिसाइल ढुलाई में सक्षम उड़ानों का व्यापक परीक्षण किया गया था। गोवा में, पृथक्करण के सफल परीक्षणों के बाद, काल्पनिक लक्ष्य पर मिसाइल का लाइव प्रक्षेपण किया गया। सभी पहलुओं के साथ-साथ दृश्य सीमाओं से परे लक्ष्य को निशाना बनाने की क्षमता का आकलन करने के लिए पाइथन-5 मिसाइलके लाइव फायरिंग का आयोजन किया गया था। सभी लाइव फायरिंग में, इस मिसाइल ने अपने हवाई लक्ष्यों को मार गिराया।
Python-5 को तेजस से किया टेस्ट
इन मिसाइलों को नेशनल फ्लाइट टेस्ट सेंटर (एनएफटीसी) से संबद्ध भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के टेस्ट पायलटों द्वारा उड़ाए गए एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) के तेजस विमान से दागा गया था। यह सफल आयोजन सीईएमआईएलएसी, डीजी – एक्यूए, आईएएफ पीएमटी, एनपीओ (एलसीए नेवी) और आईएनएस हंसा के सराहनीय सहयोग के साथ-साथ एडीए और एचएएल-एआरडीसी के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों की टीम के वर्षों की कड़ी मेहनत की वजह से संभव हुआ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एडीए, भारतीय वायु सेना, एचएएल की टीमों और इस परीक्षण में शामिल सभी लोगों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने विभिन्न संगठनों और उद्योग के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों के प्रयासों की सराहना की।