रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में दंतेवाड़ा में हुए पुलिस अभिरक्षा में आत्महत्या (Suicide) का मामला मंगलवार को गूंजा।
इस मामले में विपक्ष ने तीखे तेवर दिखाए और आखिरकार जोरदार हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
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इस मामले को उठाते हुए विपक्षी सदस्य शिवरतन शर्मा ने सदन के भीतर कहा कि “एक आदिवासी युवती पांडे कवासी की पुलिस अभिरक्षा ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने नक्सली बताकर उसे सरेंडर कराया था, और बाद में उसकी हत्या कर दी।”
शिवरतन शर्मा का साथ देते हुए भाजपा के वरिष्ठ विधायक नारायण चंदेल ने कहा कि “अमूमन पूरे बस्तर क्षेत्र में ऐसी घटनाएं घटित हो रही है, आदिवासियों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है।
इधर अजय चंद्राकर ने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि “जब-जब विधानसभा सत्र चलता है, तब तक पुलिस अभिरक्षा में मौत होती है। सरकार किसी भी मामले में जांच कराने से भागती है।” चंद्राकर ने कहा कि “जो नक्सली नहीं है उन्हें भी जबरिया से सरेंडर करा कर कोटा पूरा किया जा रहा है।”
आदिवासी युवती ने सरेंडर किया, जिसके बाद सुबह से शाम तक उनके परिजनों को उनसे मिलना नहीं दिया जाता और देर शाम एक खबर उनके परिवार वालों को दी जाती है कि उनकी बेटी ने आत्महत्या (Suicide) कर ली ?
Suicide मामलें पर चर्चा की मांग
इधर सदन के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस मामले पर कहा कि “2 सालों में नक्सलियों की कम सुरक्षाबलों के जवानों की हत्या ज्यादा हुई है। नक्सलियों का मनोबल बढ़ा है।”
कौशिक ने पुलिसिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि “किसी भी आदिवासी को उठाकर ले जाना, थाने में घुसकर हत्या करना और यह बताना कि आत्महत्या की गई है इसे लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है।”
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इस मसले पर विपक्षी सदस्यों ने आसंदी से चर्चा की मांग की, लेकिन भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही स्थगित की गई।