रायपुर। राजिम में इस बार “माघी पुन्नी मेला” का आयोजन नहीं किया जा रहा है। इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी।
सीएम ने ये भी कहा कि “मेले के लिए किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है, लेकिन इस बार राजिम में शासकीय आयोजन कोरोना संक्रमण की वज़ह से नहीं होगा।” ये बातें मुखिया भूपेश ने राजिम प्रवास के दौरान कहीं।
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि धर्म-नगरी राजिम केवल एक शहर नहीं है, बल्कि यह पूरे छत्तीसगढ़ की संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यहां केवल तीन नदियों का ही संगम नहीं होता, बल्कि सांस्कृतिक संगम भी होता है।
आज छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल राजिम में आयोजित प्रदेश स्तरीय भक्त राजिम माता जयंती महोत्सव में अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं की-
▶️ राजिम में राजिम माता शोध संस्थान के लिए 5 एकड़ जमीन
▶️ फिंगेश्वर के नवनिर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का नामकरण भक्तिन माता राजिम के नाम पर pic.twitter.com/SQR8qWKSQZ
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) January 7, 2021
पूरे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओडिशा, महाराष्ट्र के लोग भी राजिम पहुंचते हैं। भूपेश आज राजिम में साहू समाज द्वारा आयोजित भक्तिन महतारी राजिम दाई के जयंती महोत्सव में शामिल होने पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि राजिम का सैकड़ों साल पुराना इतिहास है। यह हमारी संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि राजिम माघी पुन्नी मेला को व्यवस्थित रूप से आयोजित करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नये मेला-स्थल के लिए 54 एकड़ जमीन का चिन्हांकन कर लिया गया है। इसमें कुछ निजी जमीन भी शामिल है, जिसके बारे में भू-स्वामी किसानों से सहमति ले ली गई है।
राजिम का माघी पुन्नी मेला है पहचान
सीएम भूपेश ने कहा कि माघी पुन्नी मेला के दौरान साधु-संतों, शासकीय कर्मचारियों तथा बाहर से आने वाले अन्य लोगों को होने वाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए चिन्हित स्थल पर सभी आवश्यकत इंतजाम तथा निर्माण किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इसके लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। मड़ई-मेले हमारी पहचान से जुड़े हुए हैं। बघेल ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि महादेव घाट पर आज मेले के लिए जगह नहीं बची, ऐसी हालत राजिम में निर्मित नहीं होने दी जाएगी।