दिल्ली /बंगाल चुनाव से ठीक पहले अनेक विवादों में रही पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की बायोग्राफी ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ (The Presidential Years) प्रकाशित हो गई है।इस किताब का हरेक पेज सुर्खियां बटोर रहा है। कभी मोदी की तारीफ तो कभी कांग्रेस की नेतृत्व छमता और कार्यकुशलता पर सवाल तो कभी मोदी की नीतियो पर खुला विरोध के साथ ही साथ मोदी की अच्छाई गिनाना एक बेस्ट लेखक की शक्तियों को उजागर कर रहा है।
कई चौंकाने वाले दावे के साथ साथ प्रणब दादा का ममता दीदी के लिए एक खास लगाव भी झलका रहा है किताब में प्रणब दा ने लिखा था कि अगर वो वित्त मंत्री के तौर पर काम करते रहते, तो शायद ममता बनर्जी को यूपीए-2 में बने रहने के लिए राजी कर सकते थे। इसके साथ ही प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee)की बॉयोपिक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संसद से नदारद रहने और नोटबंदी को लेकर खरी बातें लिखी गई है तो दूसरी तरफ कई मुद्दों पर जमकर तारीफ भी की है. जिसेक पढ़कर साफ झलक रहा है कि भले ही के मन में पीएम मोदी और देश के प्रति उनके समर्पण को लेकर एक अलग प्रेम था जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि चुनाव जीतने के बाद पहली मुलाकात में मोदी मुखर्जी से मिलने आए तो एक अखबार की कतरन साथ लाए जिसमें मुखर्जी का पुराना भाषण था जो राजनीतिक रूप से स्थिर जनादेश की उम्मीद व्यक्त करता था।
प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) ने आत्मकथा में लिखा- ‘लेकिन मुझे विश्वास है कि राष्ट्रपति के रूप में मेरे उत्थान के बाद पार्टी के नेतृत्व ने राजनीतिक ध्यान खो दिया. सोनिया गांधी पार्टी के मामलों को संभालने में असमर्थ थीं. वहीं, डॉ. मनमोहन सिंह की लंबे समय तक अनुपस्थिति के कारण पार्टी ने अन्य सांसदों के साथ व्यक्तिगत संपर्क को समाप्त कर दिया. राज्यसभा में अपने दिनों के दौरान मैं मुलायम सिंह यादव और मायावती जैसे कई नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करने में सफल रहा था.’