रायपुर /केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ से 24 लाख मिट्रिक टन चावल खरीदने के प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया है। जिसके बाद छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को ट्विटर के माध्यम से धन्यवाद दिया है। बघेल ने लिखा है कि भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार से 24 लाख मिट्रिक टन चावल लेने की स्वीकृति दे दी है।केंद्र सरकार को धन्यवाद कि उन्होंने हमारे अनुरोध पर विचार किया।
भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार से 24 लाख मिट्रिक टन चावल लेने की स्वीकृति दे दी है।
केंद्र सरकार को धन्यवाद कि उन्होंने हमारे अनुरोध पर विचार किया।उम्मीद है कि पूर्व में दिए गए आश्वासन के अनुरूप भविष्य में और भी चावल लेने की स्वीकृति दी जाएगी। @PMOIndia
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) January 3, 2021
ज्ञात हो कि केंद्रीय पूल के तहत किसानों से धान की खरीद के लिए डीसीपी एवं गैर-डीसीपी दोनों ही राज्यों में भारत सरकार, राज्य सरकार और भारतीय खाद्य निगम के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए है।
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ज्ञात हो कि केएमएस 2020-21 के दौरान, छत्तीसगढ़ सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना का विवरण देते हुए 17 दिसंबर 2020 को एक विज्ञापन/प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की थी कि वे प्रति एकड़ 10 हजार रुपये के भुगतान द्वारा केएमएस 2020-21 के दौरान किसानों से प्रति क्विंटल 2,500 रुपये की दर से धान की खरीद करेंगे, जो कि एमएसपी से अधिक अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन का ही एक रूप है, जो धान की खरीद पर एक प्रकार का बोनस है।जिसके तहत
2020-21 के दौरान केन्द्रीय पूल के तहत एफसीआई को 24 लाख मीट्रिक टन (एमटी) चावल की प्रदायगी की अनुमति दिए जाने का निर्णय लिया गया है, जो पूर्व वर्षों में अनुमति प्राप्त मात्रा के बराबर है।
डीसीपी राज्य के समझौता ज्ञापन के खंड संख्या-3 के अनुसार ऐसी स्थिति में जब राज्य एमएसपी से अधिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में कोई बोनस/वित्तीय प्रोत्साहन दे रहा है और राज्य की कुल खरीद टीपीडीएस/ओडब्ल्यूएस के तहत भारत सरकार द्वारा किए गए राज्य के कुल आवंटन से अधिक है तो ऐसी अधिक मात्रा केन्द्रीय पूल के बाहर मानी जाएगी।
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शुरुआती लक्ष्य राज्य के साथ बनी सहमति पर आधारित सिर्फ अनुमान है और राज्यों से पूछा जा रहा है कि क्या वे प्रोत्साहन दे रहे हैं या नहीं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्य प्रोत्साहन देते हुए पाए गए। इसलिए केन्द्रीय सरकारी खरीद को उस मात्रा तक सीमित कर दिया गया है, जिसकी पूर्व में बिना बोनस/प्रोत्साहन के खरीद की गई थी।