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किसान आंदोलन : एकजुटता की लेंगे शपथ, सफदर की शहादत को भी करेंगे याद

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रायपुर। किसान आन्दोलन के साथ सम्पूर्ण एकजुटता व्यक्त करते हुए प्रदेश के ट्रेड यूनियन संगठन, सामाजिक व नागरिक संगठन, जनसंगठन के साथ ही कला, साहित्य, रंगकर्म आदि से जुड़े संगठनों और आम जन 1 जनवरी 2021 यानी आज एकजुटता की शपथ लेंगे। राजधानी रायपुर में शाम 5 बजे आंबेडकर प्रतिमा के समक्ष किसान आंदोलन के समन्वय समिति के द्वारा देश भर में संविधान व किसान के संघर्ष के साथ एकता की शपथ कार्यक्रम के तहत ये शपथ लेंगे ।
इस कार्यक्रम में मजदूर आन्दोलन के पक्ष में नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर रहे मशहूर रंगकर्मी सफदर हाशमी जिनकी दिल्ली के झंडापुर में 1 जनवरी को ही निर्मम हत्या कर दी गई थी, जिसे को याद करते हुए किसान आंदोलन के साथ सम्पूर्ण एकता का इजहार किया जाएगा ।
सीटू के राज्य सचिव धर्मराज महापात्र ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह शर्मनाक है कि देश का मौजूदा निजाम 50 किसानों की शहादत के बावजूद अपने कार्पोरेट अकाओ के दबाव में किसान विरोधी काले कानूनों की वापसी की पहल नहीं कर रहा है और केवल बातचीत का भोंडा नाटक कर रहा है ।
 जबकि कड़कती ठंड व 3 डिग्री के तापमान में जमे हाथ-पांव के बावजूद भाजपा के किसान विरोधी प्रचार की वजह से जैसे-जैसे कारपोरेट के हाथों जमीन व बाजार खोने का डर बढ़ रहा है, किसान बड़ी संख्या में विरोध में शामिल हो रहे हैं ।
किसानों ने कृषि मंत्री को याद दिलाया है कि इन कानूनों को वापस लिये जाने का सवाल 7 माह से उनकी मेज पर लंबित है और जब वे कहते हैं कि वे मुद्दे, तर्क और तथ्यों पर बात करेंगे तो उन्हें इसे भी याद रखना चाहिए। सरकार का दावा कि ये कानून किसानों के लाभ के लिए है, बेतुका है। लाखों किसान जो कम्पनियों की सच्चाई को उनसे बेहतर समझते हैं, पिछले 1 माह से ज्यादा से उनके दरवाजे पर बैठे हैं। ये कानून जो विदेशी व घरेलू कारपोरेट को कानूनी रूप से अधिकार देते हैं, सरकारी मंडियों को कमजोर करेंगे और किसानों को ठेकों में बांध देंगे। ये सामान की आपूर्ति, सुपरवाइजर, एग्रीगेटर, पारखी, आदि के रूप में बिचैलियों की एक लंबी श्रृंखला को स्थापित करेंगे। ये लागत के दाम बढ़ाएंगे, फसल के दाम घटाएंगे, किसानों पर कर्ज बढ़ाएंगे और जमीन छिनने व आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ जाएंगी।
 ठेका कानून के अन्तर्गत किसानों को कर्ज लेना ही पड़ेगा और ठेका कानून में जमीन गिरवी रखकर ऐसे कर्जे लेने तथा जमीन से उसकी वसूली का प्रावधान है।  सरकार जानबूझकर देश को गलत जानकारी दे रही है कि वह एमएसपी व सरकारी खरीद का आश्वासन दे सकती है। उसके अपने नीति आयोग के उपाध्यक्ष रोजाना लेख लिख रहे हैं कि सरकार के पास भंडारण की समस्या है और उसका फसल खरीदने का कोई इरादा नहीं है।
इतनी भारी संख्या ने  भाग ले रहे किसानों व उनके संगठनों द्वारा दमन के बावजूद शांतिपूर्ण विरोध के साथ जो अनुशासन बनाए रखा गया है वह एक नया इतिहास बना रहा है । सभी संगठनों ने किसानों के पक्ष में इस शपथ कार्यक्रम को पूरे प्रदेश में सफल बनाने की अपील की है।