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 chhattisgarhi गढ़कलेवा अब बन गया ब्रांड, जिलों से लेकर दिल्ली तक बढ़ रही डिमांड

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रायपुर / छत्तीसगढ़ी ( chhattisgarhi) व्यंजनों का अपना खास स्वाद है यहां की खासियत चांवल के बने पकवान और बाड़ी से टूटे टमाटर धनिया की चटनी का मुकाबला फाइव स्टार होटल के पकवान भी नहीं कर पाएंगे। अब यही स्वाद देश की राजधानी दिल्ली में भी मिल रहा हैं।

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बता दे कि प्रदेश में इंडियन काफी हाउस की तर्ज पर छत्तीसगढ़ के हर जिले में नई सरकार द्वारा गढ़कलेवा प्रारंभ किए गए हैं। गढ़कलेवा में न सिर्फ छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन उपलब्ध हैं बल्कि देवभोग के सभी उत्पादों को रखने की भी तैयारी है। सरकार द्वारा लगातार इस गढ़कलेवा को प्रोत्साहित करने के कारण यह एक नए ब्रांड के रूप में स्थापित हो गया है। राज्य के विशिष्ट जनों और बाहर से आने वाले अतिथियों को जल्द ही इन केन्द्रों से परंम्परागत व्यंजन परोसे जाएंगे। इतना ही नहीं अब दिल्ली के छत्तीसगढ़ भवन में भी छत्तीसगढ़ के परम्परागत व्यंजन परोसे जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री बघेल के मंशा अनुरूप छत्तीसगढ़ के लोक कला और संस्कृति को जहां बढ़ावा दिया जा रहा है। गढ़कलेवा को नया लुक देने के लिए हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा इन केन्द्रों को आकर्षक और छत्तीसगढ़ी (chhattisgarhi) परम्परा के अनुरूप बांस शिल्प फर्नीचर की नई श्रंृखला जारी की गई

 chhattisgarhi पकवानो की है खास डिमांड

छत्तीसगढ़ में खान-पान की विशिष्ट परंपराए हैं छत्तीसगढ़ के कुछ प्रमुख पकवानों में चीला, बेसन चीला, गुरहा चीला, फरा, मुठिया, धुसका, चंउर रोटी, चंउर पातर रोटी, खुपुर्री रोटी, बफौरी, चंवसेला, बरा, पताल चटनी, देहरउरी, अईरसा, दुधफरा, पकवा, ठेठरी, खुरमी, बिड़िया, पिड़िया, पपची, पूरन लाडू, करी लाडू, बुंदी लाड़ू, मुर्रा लाड़ू, लाई लाड़ू शामिल है।

छत्तीसगढ़ी ( chhattisgarhi) खान-पान एवं व्यंजन विक्रय केन्द्र गढ़कलेवा छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों में वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया और इसके अतर्गत स्थानीय महिला स्वसहायता समूहों को प्रशिक्षित कर तथा गढ़कलेवा के लिए स्थल, शेड़ आदि तैयार कर संचालन हेतु दिया जाएगा।