दिल्ली। मंकी पॉक्स वायरस को लेकर केंद्र सरकार ने अलर्ट जारी किया है। इस वायरस के खतरे को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने पहले ही ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी थी।
भारत सरकार ने एयरपोर्ट, समुद्री बंदरगाहों और बांग्लादेश-पाकिस्तान बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया है। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर अधिकारियों को सतर्क रहने को कहा गया है। साथ ही सरकार ने अस्पतालों को मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड तैयार करने को कहा गया है।
दुनियाभर में मंकीपॉक्स फैल रहा है। 2022 में एमपॉक्स का वैश्विक प्रकोप देखने को मिला था। भारत समेत कई देश इससे प्रभावित हुए। तब से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 116 देशों में एमपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें होने की सूचना दी है। भारत में कुल 30 मामले पाए गए, जिनमें से आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया।
10 पॉइंट में सरकार की तैयारियों के बारे में जानिए
- एमपॉक्स के मरीजों का अलग से इलाज करने के लिए दिल्ली में तीन सरकारी अस्पतालों को प्रमुख सुविधाओं के रूप में चुना गया है। इन तीन अस्पतालों में राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल के नाम शामिल हैं।
- केंद्र ने सभी राज्यों से एमपॉक्स मामलों से निपटने के लिए अस्पतालों को तैयार रखने को कहा है। सूत्रों ने कहा कि इन अस्पतालों को नोडल केंद्र के रूप में नामित किया जाना चाहिए और इसकी जानकारी जनता को दी जानी चाहिए।
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि परीक्षण प्रयोगशालाओं का नेटवर्क बीमारी के शीघ्र इलाज के लिए तैयार है। वर्तमान में, देश में 32 लैब एमपॉक्स परीक्षण के लिए रखी गई हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने जल्द पता लगाने के लिए बढ़ी निगरानी के बीच एमपॉक्स के लिए देश की तैयारियों की समीक्षा के लिए रविवार को एक बैठक की अध्यक्षता की।
- अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल देश से एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि आकलन के अनुसार, निरंतर संचरण के साथ इसके फैलना का खतरा कम है।
- डब्ल्यूएचओ के एक पूर्व बयान में कहा गया है कि 2022 से 116 देशों में एमपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें हुई हैं।
- 2022 के बाद से भारत में कम से कम 30 एमपॉक्स के मामले सामने आए हैं। एमपॉक्स का आखिरी मामला इसी साल मार्च में सामने आया था।
- अब तक, अफ्रीका के बाहर, मंकीपॉक्स वायरस के क्लेड 1बी स्ट्रेन से प्रेरित संक्रमण केवल स्वीडन में पाया गया है। अलग-अलग, पाकिस्तान (3) और फिलीपींस (1) ने एमपॉक्स के प्रयोगशाला-पुष्टि मामलों की सूचना दी है। हालांकि वैरिएंट अज्ञात बना हुआ है।
- अशोका विश्वविद्यालय के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के बायोसाइंसेज एंड हेल्थ रिसर्च के डीन डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि 2022 का प्रकोप क्लेड 2 के कारण हुआ था, जो कम विषैला है और संक्रमण मुख्य रूप से उन पुरुषों में देखा गया था, जिन्होंने अन्य लोगों के साथ यौन संबंध बनाए थे।
- एमपॉक्स की पहचान पहली बार 1950 के दशक में अनुसंधान प्रयोगशालाओं में बंदरों में की गई थी, इंसान में इसका पहला मामला 1970 में ही पता चला था।