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ग्रामीण सड़कें सुधारने के नाम पर 600 करोड़ की अनियमितता, अब जांच

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रायपुर। चुनावी साल में गांवों में सड़कों की मरम्मत के नाम पर करीब 600 करोड़ रुपए की अनियमितता हुई है। बताया जा रहा है कि इसमें उन सड़कों के पूर्ण डामरीकरण का ठेका जारी कर दिया गया, जिनकी मरम्मत जरूरी नहीं थी या पैचवर्क से काम चल सकता था। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाय) के तहत 2023-24 में बिना बजट के 716 सड़कों की मरम्मत का टेंडर जारी किया गया। इसमें से 381 का काम पूरा हो गया है, जबकि 236 बन रही हैं। जो बन गई हैं, उनके ठेकेदार बिल पास करने के लिए दबाव बना रहे हैं, पर विभाग बजट न होने का तर्क दे रहा है। इस मामले की जांच शुरू हो गई है।

विभागीय अफसरों ने इस मामले में दोषी अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। इनमें तत्कालीन मुख्य अभियंता (संविदा) आर बारी, प्रमुख अभियंता अरविंद राही और सीईओ शामिल हैं। पिछली सरकार में राही को प्रमोट कर इंजीनियर इन चीफ बना दिया गया। वहीं, रिटायरमेंट से एक दिन पहले आर बारी को संविदा नियुक्ति दे दी गई। हालांकि, नई सरकार में राही मंत्रालय में पदस्थ हैं। बारी को भारमुक्त कर दिया गया है। दूसरी तरफ, राज्य में 202 में नई सरकार बनने के बाद उन 99 सड़कों के काम को रोक दिया गया है, जिसमें काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है और जिसकी मरम्मत की अभी जरूरत नहीं है।

विभाग के पास पैसे नहीं थे, फिर भी टेंडर जारी

दरअसल, जिस समय यह टेंडर निकाला गया, उस समय विभाग को 2023-24 के बाकी भुगतान के लिए 800 करोड़ रुपए की जरूरत थी। इसमें 2021-22 और 2022-23 में स्वीकृत सड़कों के निर्माण के बकाया 543 करोड़ रुपए भी शामिल हैं। दूसरी तरफ, पीएमजीएसवाय सड़कों के मेंटेनेंस के लिए सरकार ने विभाग को 2023-24 में सिर्फ 500 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। इसके बावजूद चुनावी साल में मरम्मत के नाम पर दो टुकड़ों में 646 करोड़ रुपए का टेंडर मंजूर कर लिया गया। हालांकि 257 सड़कों का काम अब भी पेंडिंग है। इसमें 21 सड़कें 2022-23 की, जबकि 236 सड़कें 2023-24 की हैं। जबकि 410 बन चुकी हैं। 2022-23 की 5 सड़कों के नवीनीकरण के काम को निरस्त करने की तैयारी है।

मरम्मत के नए काम अब दो साल तक नहीं होंगे

बताया जा रहा है कि आगामी दो साल तक पीएमजीएसवाय में नई व पुरानी सड़कों की मरम्मत पर राशि खर्च करने की स्थिति नहीं है। वजह- इस योजना के सभी तरह का बकाया चुकाने के लिए 1447 करोड़ रुपए की जरूरत है। लेकिन 1 अप्रैल 2023 की स्थिति में 192 करोड़ रुपए ही थे। 2023-24 के लिए 500 करोड़ मिले। इस तरह बकाया भुगतान के लिए 692 करोड़ रुपए ही हैं। विभाग पर 755 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार है।