इंफाल। एनआईए (NIA) और सीबीआई (CBI) ने सोमवार को कहा कि मणिपुर में प्रत्येक गिरफ्तारी जांच टीम द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों पर आधारित है। दोनों केंद्रीय एजेंसियों का यह बयान ऐसे समय आया है जब आदिवासी समूह मणिपुर में एनआईए और सीबीआई पर मनमानी और ज्यादती करने का आरोप लगा रहे हैं।
केंद्रीय एजेंसियों ने कहा कि जातीय हिंसा के माहौल में यहां काम कर रहे एनआईए और सीबीआई अधिकारियों को 2015 में सेना के जवानों पर हुए हमलों सहित विभिन्न मामलों में जांच पूरी करने का कठिन काम करना पड़ रहा है। जांच एजेंसियों ने कहा कि यहां काम कर रहे एनआईए और सीबीआई अधिकारियों को 2015 में सेना के जवानों पर हुए हमलों सहित विभिन्न मामलों में जांच पूरी करने के कठिन काम का सामना करना पड़ रहा है।
गिरफ्तार आरोपियों में से एक एसयूवी विस्फोट मामले का मुख्य आरोपी
अधिकारियों ने हाल में एक आदिवासी सेमिनलुन गंगटे की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा कि वह 21 जून को बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा इलाके में हुए एसयूवी विस्फोट मामले के मुख्य आरोपितों में से एक है। इस विस्फोट में तीन लोग घायल हुए थे। अधिकारियों के मुताबिक अदालत से उसकी ट्रांजिट रिमांड हासिल करने के बाद उसे नई दिल्ली लाया गया। दिल्ली में आरोपित को अदालत में पेश किया गया, जिसने उसे एनआईए हिरासत में भेज दिया। कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है और आतंक रोधी एजेंसी द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्य सक्षम अदालत के समक्ष रखे जाएंगे।
जांच भटकाने के लिए लगाए जा रहे आरोप
उन्होंने कहा कि जांच को पटरी से उतारने और आम जनता के बीच भ्रम पैदा करने के लिए ही आधारहीन आरोप लगाए जा रहे हैं। एनआईए ने 22 सितंबर को मोइरांगथेम आनंद सिंह को एक अलग मामले में इंफाल से गिरफ्तार किया था। सिंह को चार अन्य लोगों के साथ मणिपुर पुलिस ने पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पांचों को जमानत मिल गई थी, लेकिन आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण सिंह को एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया था।
मंत्री ने कहा, सीएम के इस्तीफे की मांग अस्वीकार्य
मणिपुर के उपभोक्ता मामलों के मंत्री लीशांगथेम सुशींद्रो ने राज्य के युवाओं के एक समूह की मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को हटाने और राज्य के हित में काम करने के लिए एक नई क्षेत्रीय पार्टी बनाने की मांग को खारिज कर दिया है। यूथ आफ मणिपुर के बैनर तले इन युवाओं ने नई दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी के 23 विधायकों और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह से मुलाकात की थी। दिल्ली से लौटने पर लीशांगथेम ने कहा कि मुख्यमंत्री को बदलने की मांग राज्य में राष्ट्रपति शासन को न्योता देने के समान है।