भिलाई। 1 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को साल में दो बार एलबेंडाजोल (BHILAI NEWS) की गोलियां नहीं देने से परेशानी बढ़ सकती है। इससे बच्चों के पेट में मौजूद कीड़े अपनी संख्या बढ़ाते हुए खून के जरिए दिमाग तक पहुंच जाते हैं। भिलाई निवासी 4 वर्षीय एक बच्ची के परिजनों से हुई इस चूक के कारण उसकी जान पर बन आई है। बेहोश होने के बाद परिजन उसे योग्य डॉक्टर के पास पहुंच गए।
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उन्होंने दिमाग में पहुंचे कीड़ों की पहचान कर जान के खतरे को टाल दिया। इलाज करने वाले डॉ. संदीप ठुटे ने बताया कि कीड़ों की मौजूदगी दिमाग के एक कोने में होने के नाते उन्होंने अभी बच्ची को 28 दिन तक लगातार एलबेंडाजोल की गोलियां देने एडवाइज किया है। देरी होने पर ये कीड़े बहुत तेजी से पूरे दिमाग में फैल जाते हैं। उस दशा में सर्जरी कर ही मरीज की जान बचाई जा सकती है।
सबसे खतरनाक डॉग वार्म, दिमाग में फैलता है
अलग-अलग प्रकार के वार्म में सबसे खतरनाक डॉग वार्म (BHILAI NEWS) होता है। कुत्ते के मल्ल से इस प्रकार के वार्म पनपते हैं। सब्जियों की खेती में कुत्तों के पहुंचने से ये सब्जियों के जरिए हमारे घरों में पहुंच जाता है। सब्जियां ठीक से नहीं धोने से इसे पेट में जाने की संभावना बनती है। कच्ची खाई जाने वाली सब्जियों से ज्यादा खतरा रहता है। पेट से होते हुए ये वार्म सीधे दिमाग में पहुंच जाते हैं।
न चूके अभिभावक, आज फिर खिला रहे गोलियां
कृमि मुक्ति जिला बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग 10 फरवरी काे व्यापक अभियान (BHILAI NEWS) चला रहा है। हर आंगनबाड़ी, स्कूल, मरदसा, कॉलेजों में 1 से 19 वर्ष तक के बच्चे को एलबेंडाजोल गोलियां खिलाई जानी है। विभाग ने पहले दिन सभी बच्चों को ये गोलियां देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सीएमएचओ डॉ. जेपी मेश्राम ने आम जन से अपने बच्चों को गोलियां खिलाने अपील की है।
जानिए, ऐसे पेट के कीड़े दिमाग तक पहुंचते हैं
वार्म/कृृमी अर्थात कीड़े कई प्रकार के होते हैं। खुले में शौच के समय इनके अंडे वायुमंडल में फैल जाते हैं। दिखाई नहीं देने से ये अंडे बच्चों के हाथ या शरीर के किसी पार्ट में चिपक जाते हैं। खाने वाली वस्तुएं खुली रहने पर उसमें पहुंच जाते हैं। हाथ को ठीक से साफ किए बिना खाना खाने से ये वार्म पेट में चले जाते हैं। एलबेंडाजोल की गोलियां ही इन्हें खत्म करने में कारगर रहती है।