नई दिल्ली। कर्नाटक हिजाब विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट का खंडित फैसला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट के दोनों ही जजों की राय इस मामले पर अलग-अलग है, जिसके बाद मामले को बड़ी बेंच को सौंपने की सिफारिश की गई है। अब हिजाब मामले की सुनवाई तीन या इससे ज्यादा जजों की बेंच करेगी।
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 10 दिन की मैराथन सुनवाई की, जिसके बाद 22 सितंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया। तभी से हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा था।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गुप्ता ने बताया कि हमारे अलग विचारों के चलते मामला चीफ जस्टिस के पास भेज रहे हैं, ताकि वह बड़ी बेंच का गठन करें। वहीं उन्होंने इस याचिका के खिलाफ अपना फैसला दिया, वहीं जस्टिस धूलिया की राय अलग थी।
फैसले के दौरान जस्टिस धूलिया ने कहा कि “लड़कियों की शिक्षा अहम है। वह बहुत दिक्कतों का सामना कर पढ़ने आती है। हाई कोर्ट को धार्मिक अनिवार्यता के सवाल पर नहीं जाना चाहिए था। इसे व्यक्तिगत पसंद के तौर पर देखना चाहिए था। मेरी राय अलग है, मैं कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला रद्द करता हूं।”
वहीं बेंच में शामिल दूसरे जस्टिस गुप्ता ने कहा कि “मेरे विचार से इन सभी सवालों का जवाब याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध जाता है। मैं अपील खारिज कर रहा हूं। क्या छात्रों को अनुच्छेद 19, 21, 25 के तहत कपड़े चुनने का अधिकार मिले, अनुच्छे 25 की सीमा क्या है ? व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के अधिकार की व्याख्या किस तरह से की जाए?”
ये था हाईकोर्ट का फैसला
हिजाब मामले को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने 11 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया था। इस फैसले में साफ किया गया कि इस्लाम में हिजाब अनिवार्य नहीं है। ये इस्लामिक परंपरा का हिस्सा नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा था कि शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य करना ठीक है।
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छात्र इससे इनकार नहीं कर सकते है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं कोर्ट ने सरकार को आदेश जारी करने का अधिकार भी दिया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार के पास शासनादेश जारी करने का अधिकार है।