सरगुजा। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के उदयपुर से 16 किलोमीटर (SARGUJA NEWS) दूर आठवीं सदी का सतमहला मंदिर समूह का भग्नावशेष देखरेख के अभाव में नष्ट हो रहा है। जबकि उसे संस्कृति व पुरातत्व विभाग ने संरक्षित किया हुआ है। हद तो यह है कि यहां प्राचीन धरोहरों में काई तक लग गई है, जबकि हर साल प्राचीन धरोहरों को संरक्षित रखने के लिए केमिकल उपचार किया जाता है, ताकि खुले में पड़े इन धरोहरों को धूप और बारिश के बीच काई सहित उनके ऊपर उगने वाले घासफूस से बचाया जा सके, लेकिन यह काम जमीनी स्तर पर नहीं किया है।
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सतमहला मंदिर कलचा व भदवाही गांव के बीच में स्थित है और ईंटों से (SARGUJA NEWS) निर्मित सात भग्न प्राचीन मंदिरों का समूह है। भग्नावशेषों के निकट एक छोटी बावड़ी ईंटों से निर्मित है। एक पंचायतन शिव मंदिर के अवशेष महत्वपूर्ण हैं। इसके सामने नंदा मंडप रहता है। सतमहला परिसर में उत्खनन से आवासीय भवन भी मिले थे, वहीं यहां मिले एक मंदिर में गंगा, यमुना की मूर्तियां व जलधारी पर शिवलिंग स्थापित है। अनुमान है कि यह मंदिर 8-9वीं सदी का होगा। यहां प्रचलित किदवंती है कि हैहयवंशी राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन जब यहां शिकार खेलने आए तो उन्होंने यहां निवास किया और मंदिरों का निर्माण करवाया था।
22 तालाब, लेकिन संरक्षण नहीं होने से खतरे में अस्तित्व
आदिकाल में राजा द्वारा निर्मित तिरही तालाब, बरखा, पनघेट, करौंदा, घोभघेट, बटवाही, नानजोगा, स्यानाडबरी, मांझी, पखना, मंझिन, जाम व बर नाम के साथ अन्य नाम की कुल 22 तालाब है, जिसमें से एक को छोड़ बाकी सभी तलाबों में पानी भरा रहता है लेकिन इन तालाबों के संरक्षण के दिशा में कोई प्लान तो दूर की बात इसके लिए पहल तक नहीं की जा सकती है। कहा जाता है कि राजा शिकार से लौटते समय इन्हीं तालाबों में स्नान करते थे।
प्रतिमा की हो चुकी चोरी पर विभाग अब तक बेखबर
उपसरपंच शिवनंदन दास ने बताया करीब 5 साल पहले (SARGUJA NEWS) रात के दौरान सतमहला से एक मूर्ति चोरी कर ली गई, जिसके बाद बगल गांव के कारीगर ने मूर्ति को स्थापित कर रखा है। बता दें कि इससे साफ होता है कि पुरातात्विक स्थल में सुरक्षा नहीं है। यहां असमाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। बता दें कि यह हालत तब है, जबकि जिले के सीतापुर विधायक अमरजीत भगत खुद संस्कृति एवं पुरातत्व मंत्री हैं। इसके बाद भी धरोहर खुले आसमान के नीचे खतरे में हैं।