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अब ब्लड टेस्ट से पता चल सकेगा लॉन्ग कोविड का खतरा

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दिल्ली। कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) से संक्रमित व्यक्ति में लंबे समय तक लक्षण बने रहेंगे या नहीं, ये ब्लड टेस्ट से अनुमान लगाया जा सकता है। इसको लेकर लैंसेट eBioMedicine जर्नल में स्टडी प्रकाशित की गई है।

दरअसल कोविड-19 से संक्रमित कुछ लोगों में वायरस का लंबे समय तक असर रहता है, जिसे लॉन्ग कोविड के रूप में जाना जाता है। यूके में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन  के शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 से संक्रमित स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के ब्लड में प्रोटीन का विश्लेषण किया। उनकी तुलना उन लोगों के सैंपल से की, जो संक्रमित नहीं थे। शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में संक्रमण के 6 सप्ताह बाद तक कुछ प्रोटीन के स्तर में काफी अंतर पाया।

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शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एल्गोरिथम का प्रयोग करते हुए कई प्रोटीन की प्रचुरता में एक सिग्नेचर की पहचान की, जिसने सटीक तौर पर बताया कि संक्रमित व्यक्ति में एक साल बाद लगातार लक्षण दिखेंगे या नहीं।शोधकर्ताओं ने कहा कि यदि इन परिणामों को रोगियों के एक बड़े, स्वतंत्र समूह में दोहराया जाता है तो संभावित रूप से एक पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) टेस्ट के साथ एक टेस्ट की पेशकश की जा सकती है जो लॉन्ग COVID होने की संभावना का अनुमान लगा सकता है। यूसीएल के अध्ययन के प्रमुख लेखक गेबी कैप्टर ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि हल्के या बिना लक्षण वाले कोविड-19 भी हमारे रक्त प्लाज्मा में प्रोटीन के प्रोफाइल को बाधित करते हैं।

अस्पतालों में उपलब्ध है टेस्टिंग किट

अध्ययन में इस्तेमाल किए टेस्टिंग (SARS-CoV-2) की विधि अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध है और हाई-थ्रूपुट है यानी यह कम समय में हजारों सैंपल का विश्लेषण कर सकता है। इस स्टडी के सीनियर लेखक वेंडी हेवुड ने बताया कि अगर हम ऐसे लोगों की पहचान कर सकते हैं, जिनमें लंबे समय तक कोविड बने रहने की संभावना है तो यह शुरुआती चरण में एंटीवायरल जैसे परीक्षण इलाज का रास्ता खुल जाता है।