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रूसी नागरिक ने हाथी प्रभावित जंगल में जमाया डेरा, अधिकारियों के छूटे पसीने

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जशपुरनगर। योग गुरु आनंद महाराज से मिलने के लिए महाराष्ट्र के मुंबई से साइकिल यात्रा में निकले रूस के नागरिक के बिना किसी पूर्व सूचना के जशपुर जिले (JASHPUR NEWS) के फरसाबहार के घोर हाथी प्रभावित जंगल में तंबू तान देने से प्रशासन सकते में आ गया। स्थानीय रहवासियों की सूचना पर जंगल में पहुंच कर अधिकारियों ने विदेशी नागरिक को विश्राम गृह में पहुंचाया।

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तपकरा के थाना प्रभारी एलआर चौहान ने बताया कि सोमवार की शाम को सूचना मिली थी कि एक विदेशी नागरिक थाना क्षेत्र के बारो के जंगल में तंबू लगा कर रुका हुआ है। जबकि बारो (JASHPUR NEWS)  के जंगल में इस समय 17 हाथी डेरा जमाए हुए हैं। अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस और वन विभाग के अधिकारी बारो पहुंचे और विदेशी नागरिक से चर्चा की। साइकिल यात्री की पहचान रुसी नागरिक एजनी सेलिन के रूप में की गई। उसने पुलिस अधिकारियों को बताया कि रूस से वह योग गुरु आनंद महाराज से मिलने के लिए आया है। साइकिल से बिहार होते हुए नेपाल जाने के लिए मुंबई से रवाना हुआ है। एजनी के पासपोर्ट और विजा की जांच से पता चला कि वह रूस से सात अगस्त को मुंबई एयरपोर्ट पहुंचा था। यहीं से साइकिल से नेपाल के लिए रवाना हुआ है।

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एसपी डी. रविशंकर के निर्देश पर थाना प्रभारी एलआर चौहान ने एजनी (JASHPUR NEWS)  से जंगल छोड़ कर रेस्ट हाउस चलने के लिए कहा, लेनिक वह तैयार ही नहीं हो रहा था। वह स्वयं को योग साधक बताते हुए जंगल में ही रात गुजारने पर अड़ा रहा। काफी मान मनौव्वल के बाद उसे फरसाबहार के रेस्टहाउस में रुकने के लिए राजी किया गया। इसके बाद एजनी को कुनकुरी लगाया गया। पुलिस ने उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक व्यवस्था करते हुए झारखंड की सीमा तक पहुंचाने की व्यवस्था की है।

भीड़ देखकर विदेशी मेहमान को हुए परेशानी

विदेशी नागरिक के जंगल में डेरा जमाने की खबर फैलते ही बारो के जंगल में बारो और आसपास के स्थानीय रहवासी जुट गए। लोगों में विदेशी मेहमान और उसके टेंट के साथ सेल्फी लेने की होड़ लग गई। इससे साइकिल यात्रा से थके एजनी के एकांत में व्यवधान उत्पन्न हुआ। इस वजह से वह नाराज होने लगा था।

भाषा की लेकर भी हुई दिक्कत

घोर हाथी प्रभावित बारो के जंगल में डेरा जमाएं एजनी को जंगल (JASHPUR NEWS)  से निकलने के लिए राजी करने में अधिकारियों को काफी मेहनत करनी पड़ी। एजनी अंग्रेजी भाषा समझते हैं। लेकिन बारो के जंगल में उनसे चर्चा के लिए कोई अंग्रेजी का जानकार नहीं मिल पा रहा था। कुछ देर में एक स्थानीय रहवासी ने अंग्रेजी में चर्चा कर जंगल में हाथी के खतरे से एजनी को अवगत कराया और उन्हें विश्राम गृह में रहने की समझाइश दी।