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परसा कोल ब्लॉक : ग्राम सभा है वैध, कलेक्टर बोले “नहीं है विशेष ग्राम सभा की जरुरत”

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अंबिकापुर। परसा कोल ब्लॉक की ग्रामसभा पर लग रहे इल्जामों को सरकार ने ख़ारिज करते हुए इस बार औपचारिक रूप से सफाई दी है। सरकार ने कहा है कि “ग्राम सभा ने इस परियोजना को शुरू करने के लिए विधिवत रूप से प्रस्ताव पारित किया था, अतः किसी भी प्रकार की विशेष ग्राम सभा को दुबारा से करवाने की आवश्यकता नहीं है।”

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दरअसल सुरगुजा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंह ने इस संबंध में कलेक्टर से पत्राचार किया था। जिसके जवाब में कलेक्टर ने बताया है कि “वन / राजस्व भूमि के व्यपवर्तन के लिए सम्बंधित ग्राम पंचायत साल्हि, आश्रित ग्राम हरिहरपुर, घटबर्रा तथा आश्रित ग्राम फतेहपुर द्वारा ग्राम सभा प्रस्ताव विधिवत पारित किये गए हैं। अतः परसा कोल् ब्लॉक के सम्बन्ध में पुनः विशेष ग्राम सभा कराने की आवश्यकता नहीं है।”

एक जून लिखे गए इस पत्र में कलेक्टर ने ये भी ये भी स्पष्ट किया है कि “कोल बिअरिंग एक्ट 1957 के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा की आवश्यकता नहीं होती है। परियोजना और उससे पैदा होने वाले रोजगार के विरोध में कुछ तत्वों ने स्थानीय लोगो को ग्रामसभा की वैद्यता के बारे में भ्रम फ़ैलाने का लगातार प्रयास किया था। कलेक्टर की सफाई के बाद यह जाहिर है की विकास विरोधी तत्व बहार से आकर सुरगुजा में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास कर रहे है।”

कलेक्टर ऑफिस से ये स्पष्टीकरण आदित्येश्वर शरण सिंह द्वारा 30 मई को लिखे गए एक पत्र के जवाब में दिया है। आदित्येश्वर शरण सिंह ने अपने पत्र में “ग्रामीणों में व्यापत अशंतोष एवं आक्रोश” का हवाला देते हुए कहा था की, “इस संवेदनशील मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए उक्त ग्रामों में विशेष ग्राम सभा बुला कर ग्राम सभा की स्पष्ट और पारदर्शी अनुमति लेना जनहित में आवश्यक है।” सिंह ने ये भी लिखा की जब तक ग्राम सभा नहीं होती है तब तक परियोजना के सम्बंधित कार्यवाही रोक दी जाए।

परसा कोयला खदान के लिए अधिग्रहित कुल 1253 हे. भूमि में से लगभग 841 हेक्टेयर वनभूमि है तथा बाकी सरकारी और निजी भूमि शामिल है। भारत सरकार की पर्यावरण, वन और जलवायु विभाग की अनुमति के बाद राज्य सरकार के विभागों द्वारा खनन कार्य शुरू करने की अनुमति कुछ शर्तों के आधार पर प्रदान की गई है। इन नियमों के अंतर्गत प्रति पेड़ के एवज में 30 गुना पेड़ लगाने की शर्त प्रमुख है।

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उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) द्वारा चलाए जा रहे बिजली संयंत्रों से 4400 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए छत्तीसगढ़ में तीन कोयला ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासन (पीईकेबी), परसा और केटे एक्सटेंशन आवंटित किया गया था।