रायपुर। राजधानी के गढ़कलेवा में छत्तीसगढ़ी फी़चर फिल्म ‘‘भूलन द मेज’’ के निर्माता-निर्देशक और कलाकारों ने बोरे बासी को सम्मान के साथ खाया।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आव्हान पर संस्कृति विभाग द्वारा गढ़कलेवा में मजदूर दिवस के अवसर पर 01 मई से बोरे बासी थाली का शुभारंभ किया गया है। गढ़कलेवा में आम जनों सहित कलाकारों अधिकारियों-कर्मचारियों और महिलाओं, बुजुर्गो सहित युवाओं ने चाव से बोरे बासी खाया।
निर्माता-निर्देशक मनोज वर्मा ने कहा कि बासी स्वास्थ्य और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से काफी महत्व रखता है। बासी को किसानों, श्रमवीरों सहित सभी वर्ग के लोग अपने-अपने तरीके से खाते हैं। बासी पौष्टिक गुणों से परिपूर्ण है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहार,वेश-भूषा और खान-पान सहित कला, संस्कृति, परंपरा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य कर रहे हैं। बोरे बासी भी विशेषकर किसानों, श्रमिकों के लिए खान-पान का एक अहम हिस्सा है। राज्य की संस्कृति को बोरे बासी के माध्यम से सहजने का प्रयास सराहनीय कदम है।
योगेश बोले न सिर्फ खाद्य बल्कि हमारी संस्कृति
भूलन द मेज छत्तीसगढ़ फ़ीचर फिल्म के कलाकार योगेश अग्रवाल ने कहा कि “छत्तीसगढ़ में ठंडा का मतलब ही बोरेबासी माना जाता रहा है। ये न सिर्फ हमारे लिए एक खाद्य है, बल्कि इससे हमारी संस्कृति भी जुडी हुई है।” उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को सहजने के साथ ही श्रमवीरों के सम्मान के लिए मजदूर दिवस को बोरे बासी दिवस के रूप में मनाने का आव्हान की भी प्रशंसा की है।
बटकी म बासी अउ चुटकी म नून
गायक और लोक कलाकार संजय महानंद ने ‘‘बटकी म बासी अउ चुटकी म नून’’ लोकगीत के माध्यम से बासी का महत्ता का बखान किया।
इस मौके पर भूलन द मेज के कलाकार योगेश अग्रवाल, सुरेश गोण्डाले, विक्रम सिंह, अनुराधा दुबे, निशांत उपाध्याय, विनय शुक्ला, समीर गांगुली, सुदीप त्यागी, शिवानी सेन, नूतन सिन्हा, अंथनी गाइडिया ने चाव के साथ बोरे बासी खाया।