रायपुर। केंद्र सरकार के बजट के खिलाफ “ग्रामीण भारत बंद” का ऐलान देशभर के तमाम मजदूर-किसान संगठनों ने किया है। इससे पहले छत्तीसगढ़ किसान सभा ने प्रदेश के गांव-गांव में प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया है।
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छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते व महासचिव ऋषि गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष के बजट में ग्रामीण विकास मद में आबंटन 5.59% से घटाकर 5.23% कर दिया गया है। यह कटौती एक लाख करोड़ रूपयों से अधिक की है। इसका असर संपूर्ण कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा।
इसी प्रकार, पिछले बजट आबंटन की तुलना में इस वर्ष मनरेगा के बजट में 25%, एफसीआई और विकेन्द्रीकृत योजना के तहत फसल खरीदी के आबंटन में 28%, उर्वरक सब्सिडी में 25%, मत्स्य पालन में 18% रसोई गैस सब्सिडी में 60% तथा खाद्य भंडारण के क्षेत्र में 28% की भारी कटौती की गई है।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि धान और गेहूं की खरीदी के मद में 11000 करोड़ रुपयों की कटौती के कारण 34 लाख किसान समर्थन मूल्य प्रणाली से बाहर हो गए हैं। मनरेगा के लिए वास्तव में 2.64 लाख करोड़ रुपयों की जरूरत है, लेकिन पिछले वर्ष के 98000 करोड़ रुपयों के अत्यल्प आंबटन को और घटाकर 73000 करोड़ कर दिया गया है। इससे ग्रामीणों के बीच बेरोजगारी और बढ़ेगी। फसल बीमा योजना में भी 500 करोड़ की कटौती से खेती-किसानी का संकट और बढ़ेगा।
28-29 मार्च को “ग्रामीण भारत बंद”
छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने कहा कि मोदी सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में कृषक परिवारों की औसत मासिक आय केवल 10218 रुपये है और खेती से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत आय मात्र 27 रुपये है। यह सर्वे किसानों की आय दुगुनी करने तथा समर्थन मूल्य की व्यवस्था में सभी किसानों को शामिल करने की लफ्फाजी की पोल खोल देता है। इस बजट से आर्थिक असमानता तथा गांवों और शहरों के बीच की खाई और बढ़ेगी तथा ग्रामीणों का जीवन स्तर और नीचे गिरेगा।
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पराते ने कहा कि किसानों और ग्रामीण जनता के हितों के खिलाफ बजट में जो उक्त प्रावधान किए गए हैं, उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा गांव-गांव में विरोध कार्यवाहियां आयोजित की गई है। इसी के साथ 28-29 मार्च को ‘ग्रामीण भारत बंद’ की तैयारियां भी शुरू हो गई है।