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नई शिक्षा नीति पर प्रधानमंत्री मोदी ने की वीडियो कान्फ्रेंसिंग

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दिल्ली /राष्ट्रीय शिक्षा निति पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21वीं सदी में स्कूली शिक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए शिक्षा के विस्तार और विकास पर चर्चा की इस विषय में पीएमओ ऑफिस द्वारा यह भी जानकारी दी गई है कि शिक्षा मंत्रालय दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, जो गुरुवार से शिक्षा पर्व के रूप में शुरू हुआ है।


आइये जाने प्रधानमंत्री ने क्या कहा
– हमें अपने स्टूडेंट्स को 21वीं सदी की स्किल्स के साथ आगे बढ़ाना है। ये 21वीं सदी की स्किल्स क्या होंगी? ये होंगी: क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलेबोरेशन, क्यूरोसिटी और कम्युनिकेशन।
– एनईपी को इसी तरह तैयार किया गया है ताकि सिलेबस को कम किया जा सके और फंडामेंटल चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। लर्निंग को इंटिग्रेटिड एवं इंटर-डिसिप्लीनेरी, फन बेस्ड और कंप्लीट एक्सपीरियंस बनाने के लिए एक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा।

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– कितने ही प्रोफेशन हैं जिनके लिए डीप स्किल्स की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते। अगर स्टूडेंट्स इन्हें देखेंगे तो एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव होगा, उनकी रिस्पेक्ट करेंगे। हो सकता है बड़े होकर इनमें से कई बच्चे ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें, उन्हें आगे बढ़ाएं।
– हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं। स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में विजिट करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? स्कूल में भी ऐसे स्किल्ड लोगों को बुलाया जा सकता है।
– हमें आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा। हमारे ये प्रयोग, न्यू एज लर्निंग का मूलमंत्र होना चाहिए- इंगेज, एक्सप्लोर, एक्सपीरियंस, एक्सप्रेस और एक्सेल।
– मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी के विकास को एक राष्ट्रीस मिशन के रूप में लिया जाएगा।
– जब शिक्षा को आस-पास के परिवेश से जोड़ दिया जाता है तो, उसका प्रभाव विद्यार्थी के पूरे जीवन पर पड़ता है, पूरे समाज पर भी पड़ता है। आज हम देखें तो प्री-स्कूल की प्लेफुल एजुकेशन शहरों में प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित है। ये शिक्षा व्यवस्था अब गांवों में भी पहुंचेगी, गरीब के घर तक पहुंचेगी।
– कोरोना से बने हालात हमेशा ऐसे ही नहीं रहने वाले हैं। बच्चे जैसे-जैसे आगे बढ़ें, उनमें ज्यादा सीखने की भावना का विकास हो। बच्चों में मैथेमेटिकल थिंकिंग और साइं और साइंटिफिक टेंपरामेंट विकसित हो, ये बहुत आवश्यक है।

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– राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ऐलान होने के बाद बहुत से लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं। ये शिक्षा नीति क्या है? ये कैसे अलग है। इससे स्कूल और कॉलेजों की व्यवस्थाओं में क्या बदलाव आएगा। इस शिक्षा निति में शिक्षक और छात्र के लिए क्या है? और सबसे अहम इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए क्या करना है, कैसे करना है? सवाल जायज भी हैं और जरूरी भी हैं। इसीलिए हम सभी इस कार्यक्रम में इकट्ठा हुए हैं ताकि चर्चा कर सकें और आगे का रास्ता बना सकें।
– बच्चों में मैथेमेटिकल थिंकिंग और साइंटिफिक टेंपरामेंट विकसित हो, ये बहुत आवश्यक है और मैथेमेटिकल थिंकिंग का मतलब केवल यही नहीं है कि बच्चे मैथेमेटिक्स के प्रॉब्लम ही सॉल्व करें, बल्कि ये सोचने का एक तरीका है।
– कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में देश भर के टीचर्स से माय गोव पर उनके सुझाव मांगे थे। एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं। ये सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे।

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– मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के इस अभियान में हमारे प्रिंसिपल्स और शिक्षक पूरे उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं।
– अब तो काम की असली शुरुआत हुई है। अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उतने ही प्रभावी तरीके से लागू करना है और ये काम हम सब मिलकर करेंगे।
– नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे पिछले चार-पांच वर्षों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है। लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
– पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया। हर व्यवस्था बदल गई। इन तीन दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष हो जो पहले जैसा हो। लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी।