नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर का असर ट्रक ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री पर भी पड़ा है। सामान ढोने वाले ट्रकों की भी मांग घटती जा रही है इसलिए ट्रांसपोर्ट सेक्टर को काम नहीं मिल रहा है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस का आकलन है कि इस वजह से ट्रक ट्रांसपोर्ट सेक्टर को हर रोज 1,600 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
आज देश ही नहीं परिवहन उद्योग भी कोरोना और आर्थिक महामारी के जूझ रहा है। पूरा देश में नए प्रतिबंधों और लॉकडाउन की स्थिति है। ऐसे में मोटर वाहनों की मांग में लगभग 65 फीसदी की कमी आई है। उनका कहना है कि इस समय अंरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे हैं।
पर देश में डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। देश की दयनीय स्थिति और ट्रांसपोर्ट ट्रेड को राहत के लिए ट्रांसपोर्टर्स की मांग है कि डीज़ल के दाम कम किये जाएं। दरअसल संक्रमण के मामले बढऩे के कारण शहरी उपभोक्ताओं के भरोसे में गिरावट आई है और यह अप्रैल में 1.1 फीसदी अंक घट गया।
रिफिनिटिव-इप्सॉस प्राथमिक उपभोक्ता धारणा सूचकांक (पीसीएसआई) सर्वे के अनुसार, रोजगार, व्यक्तिगत वित्त, अर्थव्यवस्था और निवेश के मोर्चे पर उपभोक्ताओं का भरोसा कम हुआ है। यह ऑनलाइन सर्वे इस साल 26 मार्च से 9 अप्रैल के बीच किया गया।
अगर राज्यवार बात करें तो महाराष्ट्र में 12 अप्रैल को पाबंदियां लगाई गई थीं, तब से ट्रांसपोर्टरों को हर रोज करीब 315 करोड़ रुपये की चपत लग रही थी। इसी प्रकार दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और अन्य राज्यों में भी सख्ती के कारण ट्रकों का आवागमन रोक दिया गया है। इससे वाहनों की मांग करीब 50 फीसदी तक घट गई है।