नई दिल्ली। ऑनलाइन क्लास के दौरान भी छात्रों से पूरा ट्यूशन फीस वसूल रहे स्कूलों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है। हालांकि, यह आदेश राजस्थान के स्कूलों से जुड़ा है। लेकिन इसके आधार पर दूसरे राज्यों के अभिभावक भी राहत की मांग कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऑनलाइन क्लास के चलते स्कूलों का जो खर्चा बच रहा है, उसका फायदा छात्रों को मिलना चाहिए।
राजस्थान के निजी स्कूलों से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। राज्य सरकार ने स्कूलों से 30 प्रतिशत कम ट्यूशन फीस लेने के लिए कहा था। इसके खिलाफ स्कूल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. सुप्रीम कोर्ट ने अब कहा है कि स्कूल फीस में 15 प्रतिशत की कटौती करें।
स्कूलों को कोर्ट ने फीस वसूलने लेने की अनुमति दी, लेकिन…
स्कूलों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने माना है कि राज्य सरकार का स्कूलों से फीस में कटौती करने के लिए कहना कानूनी तौर पर सही नहीं था। लेकिन साथ ही बेंच ने यह भी कहा है की स्कूलों ने पिछले 1 साल में पेट्रोल-डीजल, बिजली, पानी, मेंटेनेंस, स्टेशनरी आदि के खर्चे में काफी बचत की है। अगर इससे छात्रों को लाभ नहीं दिया जाता तो यह स्कूलों की अनुचित मुनाफाखोरी होगी।
जजों ने फैसले में कहा है कि न तो स्कूल, न ही अभिभावक इस बात का सही आंकड़ा दे पाए कि स्कूलों ने जो बचत की है, वह वसूली जा रही फीस का कितना प्रतिशत है। फिर भी ऐसा नहीं लगता कि यह बचत 15 प्रतिशत से कम होगी। साल 2019-20 के लिए फीस में कटौती के राजस्थान सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे स्कूलों को अब कोर्ट ने फीस वसूलने की अनुमति दे दी है। लेकिन यह कहा है कि फीस में हर स्कूल कम से कम 15 प्रतिशत की कटौती करे। यह फीस 6 किश्तों में चुकाने की सुविधा दी है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि फीस न दे पाने के चलते अभी किसी भी छात्र को ऑनलाइन क्लास या फिजिकल क्लास में शामिल होने से न रोका जाए।