रायपुर। पूरे छत्तीसगढ़ में किसान और नागरिक-समूह कल होली में कृषि कानूनों (Agricultural law) का दहन करेंगे। इन कानूनों के खिलाफ चल रहे देशव्यापी आंदोलन को तेज करने की शपथ लेंगे।
ये आयोजन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर प्रदेश में किया जा रहा है।
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छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने शनिवार को इस बाबत जानकारी दी है। दोनों नेताओं ने कहा कि “इन काले कानूनों (Agricultural law) की वापसी तक यह आंदोलन जारी रहेगा।”
उन्होंने बताया कि “छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े सभी घटक संगठन गांव-गांव में यह कार्यक्रम आयोजित करेंगे, ताकि इन काले कानूनों के दुष्प्रभावों से ग्रामीण जनता को अवगत कराया जा सके। उन्हें अपनी खेती-किसानी को बचाने और देश की अर्थव्यवस्था के कार्पोरेटीकरण को रोकने के लिए देशव्यापी संघर्ष में लामबंद किया जा सके।”
किसान नेताओं ने कहा है कि देश के किसानों का आम अनुभव है कि उनकी फसलों को औने-पौने भाव पर लूटा जा रहा है और उन्हें कोई कानूनी सुरक्षा प्राप्त नहीं है। मंडियों के निजीकरण और ठेका खेती से यह लूट और बढ़ेगी।
इसलिए देश का किसान आंदोलन इसका विरोध कर रहा है। वह अडानी-अंबानी को देश का खाद्यान्न भंडार और अनाज व्यापार सौंपने का विरोध कर रहा है, क्योंकि इससे देश में जमाखोरी, कालाबाज़ारी और महंगाई तेजी से बढ़ेगी।
Agricultural law की जलाएंगे प्रतियां-पराते
छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने कहा कि यह देशव्यापी किसान आंदोलन आज़ादी के बाद का सबसे प्रखर, लोकतांत्रिक और मोदी सरकार के उकसावे के बावजूद सबसे ज्यादा शांतिपूर्ण आंदोलन है।
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जिसके समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े सभी घटक संगठन 28 मार्च को होली में इन काले कानूनों की प्रतियों का दहन करेंगे। इसके जरिये ग्रामीणों को तीनों कानूनों के किसान विरोधी होने के बारे में तथा इस देशव्यापी आंदोलन के मांगों के बारे में उन्हें बताएंगे।”