रायपुर। संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने किसानों के मुद्दे पर सदन में आवाज उठाने वाले राज्यसभा सदस्य के निलंबन को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की हत्या करार दिया है। विकास उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तानाशाही और लोकतंत्र की हत्या के गुजरात मॉडल को देश मे भी लागू कर रहे है। एक तरफ तो किसानों के अधिकारों को खत्म कर मंडी और न्यूनतम मूल्य को बड़े बड़े घरानों के हाथों बेच रहे है। वही दूसरी तरह लोकतांत्रिक तरीके से सदन में अपनी आवाज उठाने वालों की आवाज निलबंन के द्वारा बन्द करना चाहते है। विकास ने कृषि बिल के प्रावधानों को खत्म हुई जामीदारी प्रथा की वापसी करने वाला बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर सवाल उठाए है। उन्होंने कांग्रेस के राज्य सभा के सदस्य राजीव सातव, सैयद नासिर हुसैन, रिपुन बोरा ,tmc सदस्य डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन आप पार्टी सांसद संजय सिंह और सीपीआई (एम) से केके रागेश और एल्मलारान करीम के जज्बे को सलाम किया है। और किसानों की आवाज को राज्य सभा मे उठाने के लिए धन्यवाद दिया है। विकास ने कहा कि अहंकारी शासन संसदीय प्रणाली को तार-तार कर सदन में वोट ना करवा कर बिना
बहुमत के कृषि बिल पास करा कर अपने तानाशाही का एक नमूना पेश किया है, लेकिन उसे किसान और विपक्ष की आवाज को दबाया नही जा सकता। इस मसले की लड़ाई को कांग्रेस किसानों के साथ मिल कर सदन के बाद अब सड़क पर भी जारी रखेगी।