नागपूर। सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार के तीन विधेयकों पर सीधे हमला बोला है। सीएम भूपेश ने केंद्र सरकार द्वारा कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020,
कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020, और आवश्यक वस्तु (संशोधक) विधेयक 2020 पर तीखा प्रहार किया है।
सीएम भूपेश ने कहा ये तीनों काले क़ानून हैं और तय है कि इस क़ानून के लागू होने से देश में किसानों, कृषि मज़दूरों, मंडी मज़दूरों, कर्मचारियों और छोटे दुकानदारों की आजीविका ख़तरे में पड़ने वाली है।
उन्होंने कहा कि प्रदेशों की अर्थव्यवस्था पर बड़ी चोट पहुंचने वाली है, और इन सबसे ऊपर देश का हर उपभोक्ता आने वाले दिनों में आलू-प्याज़ से लेकर अनाज तक हर उस सामान को अनाप-शनाप क़ीमत पर मजबूर होने वाला है। क़ीमतें बड़े कॉर्पोरेट घराने तय करेंगे और उनका ही सारे व्यावसाय पर एकाधिकार रहेगा।
उन्होंने कहा कि ये तीनों क़ानून देश के 60 करोड़ से अधिक किसानों और खेती-बाड़ी को बर्बाद करने का षडयंत्र है और इस बर्बादी के ज़रिए मोदी सरकार देश के कुछ उद्योगपतियों-कारोबारियों को मालामाल करना चाहती है।
अगर ये क़ानून लागू हुए तो भारत में हरित क्रांति से हासिल हुई सारी उपलब्धि उलट जाएगी और किसान बंधुआ मज़दूर में बदल जाएगा. इसी तरह छोटे व्यापारी और कारोबारी भी अनुबंधित कारोबारी में बदल जाएंगे.
सीएम भुपेश ने कहा कि जिस तरह से मोदी सरकार ने लोकसभा में इसे बहुमत के बल पर पारित करवाया है और राज्य सभा में बहुमत की अनदेखी करते हुए विपक्षी सांसदों की मांग को दरकिनार किया है, उससे भी यह तय दिख रहा है कि मोदी सरकार की नीयत ठीक नहीं है।
जिस तरह कुछ लोग पहले नोटबंदी को सही ठहराते हुए उसकी वकालत कर रहे थे और कुछ लोग मोदी सरकार के जीएसटी को ऐतिहासिक बता रहे थे, उसी तरह कुछ लोग तीनों काले क़ानूनों को सही ठहरा रहे हैं. जैसे पूर्व में तरफ़दारी करने वाले लोग लापता हो गए थे वैसे ही इन क़ानूनों की असलियत का पता चलते ही ये चंद लोग भी लापता हो जाएंगे।
कांग्रेस की मांग
1. हम राष्ट्रपति से भी मांग करते हैं कि वे इन काले क़ानूनों पर हस्ताक्षर न करें और संसद को वापस भेज दें.
2.कांग्रेस किसानों और किसान संगठनों के साथ है और मांग करती है कि तीनों काले क़ानूनों को मोदी सरकार तुरंत वापस ले.
3.राज्यसभा में सांसदों के अपमान और नियम क़ानूनों की धज्जियां उड़ाने के लिए भाजपा देश से माफ़ी मांगे.