spot_img

महाशिवरात्रि : बाबा हटकेश्वरनाथ मंदिर में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, सीएम भूपेश भी पहुंचे

HomeCHHATTISGARHमहाशिवरात्रि : बाबा हटकेश्वरनाथ मंदिर में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, सीएम भूपेश...

 

रायपुर। महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के पावन पर्व पर रायपुर के महादेव घाट स्थित बाबा हटकेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की लम्बी कतारें लगी हुई है। भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर पूजार्चना और अपनी मनोकामना मांगने के लिए भक्त यहाँ पहुंचे है। महाशिवरात्रि पर यहाँ मेला भी आयोजित किया गया है।

भैया जी ये भी पढ़े : कोरोना संक्रमण का ख़तरा देख रद्द हुई परीक्षाएं, RSU और KTU…

इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी बाबा बाबा हटकेश्वरनाथ मंदिर पहुंचे। जहाँ उन्होंने भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों के लिए सुख-समृद्धि की कामना की।

महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष साज-सज्जा की गई थी। मुख्यमंत्री ने मंत्रोच्चार के बीच भगवान शिव की आराधना की। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों को महाशिवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा कि “महाशिवरात्रि का त्यौहार पूरे देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी श्रद्धा और भक्तिभाव से मनाया जाता है। आज मै भी बहगवां भोलेनाथ के दरबार में पहुंचा हूँ, यहाँ पूजा अर्चना कर भगवान शिव से प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की है।”

Mahashivratri : पूजे जाते है भोलेनाथ

महाशिवरात्रि मनाने के पीछे कई किवदंतियां प्रचलित है। महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि पौराणिक, धार्मिक और दंत कथाओं की मान्यताओं के अनुसार, सम्पूर्ण भारत भूमि के अलग अलग क्षेत्रो में तीन कारणों से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। जिसमें ज्योतिर्लिंग का प्राकट्य, शिव पार्वती जी का विवाह और हलाहल विष का पान करना।

इन तीनों में शिव-पार्वती का विवाह सबसे ज्यादा प्रचलित है। इसी कारण से महाशिवरात्रि (Mahashivratri) को कई स्थानों पर रात्रि में शिव बारात भी निकाली जाती है।
एक मान्यता यह भी है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं, विवाह जल्द होता है।

भैया जी ये भी पढ़े : रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज टी20 में आज इंग्लैंड दक्षिण अफ्रीका की…

पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को आदिदेव भगवान शिव, करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। यही वजह है कि इसे हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महापर्व के रूप में मनाया जाता है।