spot_img

महाशिवरात्रि विशेष : फाल्गुन मास के शिवरात्रि को महाशिवरात्रि क्यों कहते है ?

HomeCHHATTISGARHमहाशिवरात्रि विशेष : फाल्गुन मास के शिवरात्रि को महाशिवरात्रि क्यों कहते है...
रायपुर। भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा पर्व है महाशिवरात्रि (Mahashivratri)। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ का विवाह हुआ था।
महाशिवरात्रि के बारे में आपके मन में भी कई सवाल होंगे। कई  प्रश्न और शंका आप सभी के मन मे भी आ रहा होगा , आईये इस शंका का समाधान करते है।

महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं ?

महाशिवरात्रि मनाने के पीछे कई किवदंतियां प्रचलित है। महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि पौराणिक, धार्मिक और दंत कथाओं की मान्यताओं के अनुसार, सम्पूर्ण भारत भूमि के अलग अलग क्षेत्रो में
तीन कारणों से महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है,
ज्योतिर्लिंग का प्राकट्य ,
शिव पार्वती जी का विवाह,
हलाहल विष का पान करना।
जिसमें शिव-पार्वती का विवाह सबसे ज्यादा प्रचलित है। इसी कारण से महाशिवरात्रि को कई स्थानों पर रात्रि में शिव बारात भी निकाली जाती है।
एक मान्यता यह भी है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं, विवाह जल्द होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को आदिदेव भगवान शिव, करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। यही वजह है कि इसे हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महापर्व के रूप में मनाया जाता है।

Mahashivratri और शिवरात्रि में अंतर

पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि हिन्दू कैलेंडर के प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि कहा जाता है, यह मासिक शिवरात्रि के नाम से प्रचलित है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही आधी रात को भगवान शिव निराकार ब्रह्म से साकार स्वरूप यानी रूद्र रूप में अवतरित हुए थे, इसलिए इस तिथि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।

ये है शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 11 मार्च को चतुर्दशी तिथि दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 12 मार्च शुक्रवार को दोपहर तीन बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन पूजा का प्रथम प्रहर 11 मार्च को शाम 6 बजकर 27 मिनट से लेकर 9 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। द्वितीय प्रहर रात 9 बजकर 29 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। शिव पूजा का तृतीय प्रहर रात 12 बजकर 31 मिनट से लेकर सुबह 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। जबकि चतुर्थ प्रहर 12 मार्च को तड़के तीन बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।