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माटी पूजन दिवस : पहले दूसरे राज्य जाते थे, अब किसान खुद बस्तर में कर रहे खेती

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कृषक सभागार भवन, नव निर्मित क्लस्टर क्लासरूम भवन, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विवि कैम्प कार्यालय का उद्घाटन किया। इस उद्घाटन से पहले मुख्यमंत्री बघेल अक्ती तिहार एवं माटी पूजन दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए।

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इस दौरान मुख्यमंत्री ने गांव की माटी, देवी-देवताओं और ठाकुर देव की पूजा की। सीएम ने धान की कोठी से बीज लाकर उसकी भी विधिवत पूजा अर्चना की। इसके साथ ही बघेल ने प्रदेश भर में अच्छी फसल के लिए धरती माता से कामना की। मुख्यमंत्री ने बीज बुवाई संस्कार के तहत लौकी, सेम, तोरई के बीज बोये। साथ ही साथ गौ माता को चारा खिलाया।

सीएम ने कहा “अक्ती और सभी प्रदेशवासियों को अक्ति (अक्षय तृतीया) तिहार की बधाई और शुभकामनाएं। अक्षय तृतीया के दिन शुरू हुए काम की पूर्णता निश्चित मानी जाती है, इसलिए यह दिन बहुत शुभ और अक्षय माना गया है। हमारी कृषि परम्परा में भी अक्ति का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन से नई फसल के लिए तैयारी शुरू होती है।

मिट्टी के गुड्डे-गुड़ियों की शादी की परम्परा से हमारे पुरखों ने इस त्यौहार को धरती से जोड़ा है, जिससे हम जीवन के आधार माटी को जीवंत मानकर उसका आदर सम्मान करें। अक्ति के शुभ दिन के महत्व को देखते हुए छत्तीसगढ़ में पिछले साल से माटी पूजन अभियान की शुरूआत कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को अक्षय रखने की पहल की गई है।

अपनी माटी और धरती को अभी यदि नहीं बचाया गया तो बहुत देर हो जाएगी। माटी पूजन महाअभियान में सभी किसानों और छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों से सक्रिय भागीदारी का आह्वान करता हूँ।”

70 से 80 प्रतिशत लोग करते है कृषि कार्य

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि “यह प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है 70 से 80 प्रतिशत लोग कृषि पर आधारित है। इन चार सालों में कृषि उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई है। छत्तीसगढ़ में बड़ी मात्रा में खासकर आदिवासी अंचलों में कोदो, कुटकी, रागी का उत्पादन करते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने कोदो औऱ कुटकी का समर्थन मूल्यनिर्धारित किया और उसकी खरीदी की व्यवस्था भी की है।

उद्यानिकी एवं वानिकी के विकास की संभावनाएं

सीएम बघेल ने आगे कहा कि “बस्तर कॉफी अब काफी लोकप्रिय हो रहा है, हम उसकी मांग की पूर्ति भी नहीं कर पा रहे हैं। बस्तर क्षेत्र में पहले किसान मिर्ची की तोड़ाई के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जाया करते थे । अब किसान खुद ही बस्तर में मिर्ची की खेती कर रहे हैं। प्रदेश में उद्यानिकी एवं वानिकी के विकास के लिए भरपूर संभावनाएं हैं। छत्तीसगढ़ उद्यानिकी और वानिकी के क्षेत्र में एक बड़ा हब बनेगा देश-विदेश से लोग यहां अध्ययन के लिए आएंगे।