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विजयादशमी उत्सव पर भागवत बोले, जनसंख्या असंतुलन से बन गए ईस्ट तिमोर-कोसोवो जैसे नए देश

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दिल्ली। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत (MOHAN BHAGWAT) विजयादशमी उत्सव के मौके पर नागपुर के रेशमीबाग में संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे हैं। दशहरा के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शस्त्र पूजन की परंपरा है। इस परंपरा को आज नागपुर में निभाया जा रहा है। मोहन भागवत ने संघ मुख्यालय में शस्त्र पूजन में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में आज पर्वतारोही और हिमालय की चोटी पर पहुंचने वाली पद्मश्री संतोष यादव मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद हैं।

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विजयादशमी उत्सव के मौके पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि शक्ति ही शुभ और शांति का आधार है। मोहन भागवत ने नारियों की स्थिति पर अपने संबोधन में कहा कि हम उन्हें जगतजननी मानते हैं, लेकिन उन्हें पूजाघर में बंद कर देते हैं ये ठीक नहीं है। मातृशक्ति के जागरण का कार्यक्रम अपने परिवार से प्रारंभ करना होगा, फैसला लेने में महिलाओं को भी साबित करना होगा।

मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। हमने लंका को उसके आर्थिक संकट में मदद की। यूक्रेन में अमेरिका और रूस की लड़ाई में हमने अपने हित को सबसे आगे रखा। मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में हम लगातार सफल होते जा रहे हैं और स्वावलंबी होते जा रहे हैं। इस नवोत्थान की आहट सुनकर हम भी प्रसन्न हो रहे हैं।

स्वार्थ और द्वेष के आधार पर दूरियां बनाने का काम चल रहा है

संघ प्रमुख मोहन भागवत (MOHAN BHAGWAT) ने कहा कि प्रगति के लिए जीवन में लचीलापन जरूरी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय निर्माण के लिए बाधाओं से पार पाना जरूरी है। इसमें एक बाधा रुढ़िवादिता है। हमें नई परंपरा जो कि आधुनिक समय और राष्ट्र की जरूरतों से मेल खाती है उसे बनाने की जरूरत है। साथ ही हमें सनातन मूल्यों के प्रति भी जागरूक रहने की जरूरत है।

जनसंख्या असंतुलन से आज भी बन रहे नए देश

आबादी के मुद्दे पर संघ प्रमुख (MOHAN BHAGWAT) ने कहा कि जनसंख्या बोझ है, लेकिन ये साधन भी बन सकता है। जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ पांथिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। उन्होंने सचेत करते हुए कहा कि एक भूभाग में जनसंख्या में संतुलन बिगड़ने का परिणाम है कि इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सुडान से दक्षिण सुडान व सर्बिया से कोसोवा नाम से नए देश बन गये। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नीति गंभीर मंथन के बाद तैयार की जानी चाहिए और इसे सभी पर लागू किया जाना चाहिए।