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कश्मीरी पंडितों का घाटी में ड्यूटी पर लौटने से इनकार, सरकार ने नोटिस भेजकर काम पर आने को कहा

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जम्मू। जम्मू-कश्मीर में हुईं टारगेट किलिंग्स के बाद से 4 हजार से ज्यादा प्रवासी कश्मीरी पंडित (KASHMIRI PANDIT) सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरी के रहे ये सभी लोग सरकार से सुरक्षा और घाटी से बाहर पोस्टिंग की मांग कर रहे हैं। उनके प्रदर्शन को 50 से ज्यादा दिन हो गए हैं।

प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों में से लगभग 70 फीसदी कर्मचारी घाटी छोड़कर जम्मू आ चुके हैं। ये सभी कश्मीर के बाहर सुरक्षित जगहों पर पोस्टिंग चाहते हैं। बाकी घाटी में अपने ट्रांजिट कैंपों में कैद हैं। ये लोग हमले की आशंका के चलते अपने घर से बाहर नहीं निकल रहे। इस बीच कई प्रवासी कश्मीरी पंडितों को सरकार की तरफ से अमरनाथ यात्रा में ड्यूटी करने का आदेश मिला है, जिसे मानने से कर्मचारियों ने इनकार कर दिया है।

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कोर्ट से मदद की आस लगा रहे कश्मीरी पंडित

इस बीच, प्रशासन से बातचीत न हो पाने के कारण कश्मीरी पंडितों (KASHMIRI PANDIT) ने आंदोलन और तेज कर दिया है। ये लोग कानूनी जानकारों से राय-मशविरा कर रहे हैं, ताकि कोर्ट के जरिए उनकी सुनवाई हो सके। प्रदर्शनकारियों की अधिकारियों से कई राउंड बातचीत हुई है। एक महीने पहले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बातचीत हुई थी। लेकिन कर्मचारियों का भरोसा नहीं लौट रहा। प्रशासन ने पीएम पैकेज के कर्मचारियों को एक पदोन्नति देने, जिला मुख्यालय में सुरक्षित क्षेत्रों में पोस्टिंग और पर्याप्त सुरक्षा कवर जैसे वादे किए हैं। प्रशासन ने कर्मचारियों को दूर-दराज क्षेत्रों से सुरक्षित क्षेत्रों में ट्रांसफर कर दिया था, लेकिन अधिकांश ड्यूटी पर नहीं गए।

जम्मू में राहत आयुक्त (प्रवासी) कार्यालय में धरने पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि माहौल में सुधार होने तक पीएम पैकेज कर्मियों को जम्मू के रिलीफ कमिश्नर दफ्तर से जोड़ा जाए। इस बीच, 29 जून को आदेश जारी कर अमरनाथ यात्रा संचालन के लिए 12 कश्मीरी प्रवासियों को कैंप निदेशक कार्यालय में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है।

मदद की जगह प्रशासन बना रहा काम पर लौटने का दबाव

शालीमार के सरकारी शिक्षक रूबन सप्रू ने कहा, मुझे स्कूल से गैरमौजूदगी पर दो कारण बताओ नोटिस मिले। जिस दिन (24 जून) दूसरा नोटिस मिला, उसी दिन स्कूल के प्रिंसिपल (KASHMIRI PANDIT) ने मेरा रिलीविंग लेटर जारी कर दिया। मेरा ट्रांसफर श्रीनगर के शालीमार से रावलपोरा किया गया है। मैंने प्रिंसिपल को बता दिया कि मैं स्कूल में रिपोर्ट करके रिलीविंग लेटर लूंगा।

शेखपोरा ट्रांजिट कैंप में रहने वाले वरिष्ठ कर्मचारी नेता अश्विनी पंडिता ने कहा, मौजूदा परिस्थिति में ड्यूटी शुरू करने का सवाल ही नहीं। हमारे बच्चे भी स्कूल नहीं जा रहे। हम सिर्फ कश्मीर के बाहर सुरक्षित क्षेत्र जाना चाहते हैं। बारामूला में सेवारत शिक्षक राकेश पंडिता ने कहा, जम्मू के राहत आयुक्त दफ्तर में अटैच किया जाए।