spot_img

कश्मीर फाइल्स एक प्रॉपगैंडा: फारूक अब्दुल्ला

HomeNATIONALकश्मीर फाइल्स एक प्रॉपगैंडा: फारूक अब्दुल्ला

दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने मंगलवार को ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होने कहा कि यह फिल्म वास्तविकता से बहुत दूर है और राष्ट्र के ध्रुवीकरण के लिये ‘प्रॉपगैंडा’ के अलावा कुछ नहीं है। कश्मीरी पंडितों के पलायन को लेकर भाजपा के निशाने पर रहे अब्दुल्ला ने एक ‘ईमानदार’ व्यक्ति की अध्यक्षता में ‘सत्य और सुलह आयोग’ के गठन का भी सुझाव दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उस समय क्या हुआ था। 1990 में जो कुछ भी हुआ वह एक त्रासदी थी। मेरे कश्मीरी पंडित भाइयों और बहनों को अपना घर छोड़ना पड़ा। मैं चाहता हूं कि सब कुछ ठीक से जांचा जाए कि उस समय नस्ली सफाए में रुचि रखने वाले ‘पक्ष’ कौन थे?”

भैयाजी यह भी देखे: राजस्थान के विधायक के बयान पर मचा बवाल, सदन में बोले-‘मैं नेहरू-गांधी परिवार का गुलाम’

फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री (मुफ्ती मोहम्मद सईद) की बेटी के बदले में पांच आतंकवादियों की रिहाई पर आपत्ति जताई थी। श्रीनगर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने कहा, “क्या किसी ने मेरी बात सुनी? मैंने उन्हें चेतावनी दी थी कि इससे आतंकवादियों का मनोबल बढ़ेगा लेकिन दुर्भाग्य से, दिल्ली में सरकार में कोई यह सुनने वाला नहीं था। सभी जानते हैं कि केंद्र में किसकी सरकार थी, किसने बाहर से समर्थन दिया था।”

विशुद्ध प्रॉपगैंडा’ है

पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि फिल्म ‘विशुद्ध प्रॉपगैंडा’ है और राष्ट्र का ध्रुवीकरण करने के लिए निहित स्वार्थों वाले लोगों द्वारा इसे जानबूझकर प्रचारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “फिल्म वास्तविकता से बहुत दूर है और यह केवल राष्ट्र का ध्रुवीकरण करने के लिए है और मैं आज देश को बता दूं कि यह स्वस्थ घटनाक्रम नहीं है।” अब्दुल्ला ने कहा कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, जो पूर्ववर्ती राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, ने जिस दिन पदभार संभाला था, उसी दिन से एक ‘सत्य और सुलह आयोग’ की स्थापना की वकालत कर रहे थे।

हर चीज की जांच करवाई जाए

अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा, “अब हमारे पास मौका है। आयोग का नेतृत्व करने के लिए एक ईमानदार व्यक्ति को तलाशिये और हमें हर चीज की जांच करने दें और उसके बाद, अगर मैं दोषी हूं, तो कानून अपना काम करेगा। फारूक अब्दुल्ला लोगों को बेवकूफ बनाने में विश्वास नहीं करता है।” उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों की रक्षा करने में विफल रहने के लिए फिल्मकार द्वारा उनकी पार्टी को बदनाम किया गया है। उन्होंने कहा, “लेकिन दुर्भाग्य से, तथ्य दूसरी ही बात करते हैं। यह मेरे लोकसभा सदस्य प्यारे लाल हांडू थे, जिन्होंने लोकसभा में कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाया था। संसद पुस्तकालय में बहस संरक्षित है। यह मेरी सरकार थी जिसने 1997 में जम्मू कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति (संरक्षण, सुरक्षा और संकट बिक्री पर रोक) अधिनियम लाया था। हमें काम से मतलब था, न कि प्रचार से।”