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BREAKING: छत्तीसगढ़ के दुर्ग में मिला दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध, वन विभाग आया हरकत में

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दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग (DURG NEWS) में जटायु से जुड़े एक गिद्ध की प्रजाति का पता चला है। इसकी पहचान इजीप्शियन वल्चर के तौर पर हुई है। जिसके बाद वन विभाग और जिला प्रशासन में इस बात को लेकर खुशी है।दुर्ग प्रशासन ने इस दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध को बचाने के लिए कमर कस ली है।

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दुर्ग (DURG NEWS) उम्मीदें बढ़ गई हैं। कलेक्टर सर्वश्वर भुरे ने इस प्रजाति के संरक्षण के लिए वन विभाग और रेवेन्यू  विभाग द्वारा वल्चर रेस्टारेंट के लिए जमीन चिन्हांकित करने के निर्देश दिए हैं। दुर्ग डीएफओ धम्मशील गणवीर ने बताया कि धमधा ब्लॉक में गिद्धों की इजीप्शियन प्रजाति अर्थात इजीप्शियन वल्चर को देखा गया है। ये वहां मौजूद बड़े पेड़ों में घोंसला बनाकर रह रहे हैं। इजीप्शियन वल्चर की प्रजाति के संरक्षण और संवर्धन के लिए यह एक अच्छा संकेत है। कलेक्टर ने वन और राजस्व विभाग को निर्देशित किया है कि ऐसे क्षेत्रों में जहां ‘इजीप्शियन वल्चर’ की बसाहट सबसे अधिक पाई गई है, वहां इनके कंजर्वेशन के लिए संरक्षित क्षेत्र बनाया जाए।

इजीप्शियन वल्चर के संरक्षण की मुहिम हुई तेज

डीएफओ धम्मशील गणवीर (DURG NEWS) ने बताया कि इजीप्शियन वल्चर की प्रजाति दुर्ग ही नहीं छत्तीसगढ़ में दिखाई देना एक बड़ी बात है। यह एक दुर्लभ प्रजाति है। इसके संरक्षण की जरूरत है। इसके लिए एक खास क्षेत्र ‘वल्चर रेस्टारेंट’ बनाया जाएगा । गिद्ध मृतभक्षी होते हैं। इनके भोजन के लिए मरने वाले जानवरों को यहां लाया जाएगा। यहां ऐसे पौधे लगाये जाएंगे जो गिद्धों की बसाहट के अनुकूल होंगे। गिद्ध पीपल, बरगद जैसे ऊंचे पेड़ों में बसाहट बनाते हैं।

गिद्धों की संख्या में आई थी भारी गिरावट

डीएफओ धम्मशील गणवीर ने बताया कि भारत में गिद्धों की 9 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें इजीप्शियन वल्चर भी एक प्रजाति है। यह छोटे आकार के गिद्ध होते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में पहले बड़ी संख्या में गिद्ध पाये जाते थे। बीते एक दशक से इनमें तेजी से गिरावट आई है। इसका कारण था डाइक्लोफिनाक औषधि जो मवेशियों को दी जाती थी। मवेशियों के मरने के बाद जब गिद्ध इनके गुर्दे खाते थे तो यह औषधि भी उनके पेट में चली जाती थी और इससे उनकी मौतें होने लगीं थी।