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RBI ने सहकारी समितियों को चेताया, नहीं कर सकते “बैंक” शब्द का इस्तेमाल…

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सहकारी समितियों को कड़ी चेतावनी दी है। ये चेतावनी उन्होंने समितियों द्वारा अपने नाम में “बैंक” शब्द के इस्तेमाल करने की वज़ह से दी गई है।

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रिजर्व बैंक का कहना है कि समितियों द्वारा ऐसा किया जाना न सिर्फ बैंकिंग विनियमन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि आम जनता भी इसकी वज़ह से गुमराह होती है।

बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अनुसार, सहकारी समितियां अपने नाम के हिस्से के रूप में “बैंक”, “बैंकर” या “बैंकिंग” शब्दों का उपयोग नहीं कर सकती हैं।

इसके साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने आम जनता को भी इस बाबत सजग करते हुए कहा कि यदि ये बैंक होने का दावा करते हैं तो लोग ऐसी सहकारी समितियों के बारे में सावधानी बरतें और उनसे निपटने से पहले आरबीआई द्वारा जारी बैंकिंग लाइसेंस देखें।

इसमें कहा गया है कि समितियां जमा राशि पर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन से बीमा कवर के लिए भी बैंक के रूप में कार्य करने को अधिकृत नहीं है। इसका मतलब यह होगा कि ऐसी सहकारी समितियों के विफल होने की स्थिति में जनता अपनी सारी मेहनत की कमाई को ऐसी संस्थाओं के पास जमा कर खो सकती है।

RBI नहीं देता लाइसेंस

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा कार्रवाई उन रिपोर्टों का अनुसरण करती है कि कुछ सहकारी समितियां गैर-सदस्यों/नाममात्र सदस्यों/सहयोगी सदस्यों से जमा स्वीकार कर रही हैं जो बीआर अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के उल्लंघन में बैंकिंग व्यवसाय करने के समान है।

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आरबीआई ने एक बयान में कहा, “जनता के सदस्यों को सूचित किया जाता है कि ऐसी समितियों को न तो बीआर अधिनियम, 1949 के तहत कोई लाइसेंस जारी किया गया है और न ही वे बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए आरबीआई द्वारा अधिकृत हैं।”