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IPS ने खोली ‘पुलिस लाइब्रेरी’, हेड कॉन्स्टेबल की बेटी से कटवाया फीता

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मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव अपनी एक से एक नायाब पहल के लिए जाने जाते हैं। पुलिस कैफे, जिम, वीकली ऑफ जैसी व्यवस्थाएं करने वाले अभिषेक यादव ने अब पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों के लिए पुलिस लाइन में 1,000 से ज्यादा किताबों के साथ एक लाइब्रेरी खोली है। लाइब्रेरी का उद्घाटन शनिवार को एक हेड कॉन्स्टेबल की बेटी ने सीनियर अफसरों की मौजूदगी में किया और कार्यक्रम में पुलिस लाइन में रहने वाले कई बच्चों को बुलाया गया था।

एसएसपी ने कहा, ‘लाइब्रेरी में स्कूल की किताबों से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं, वित्त, स्वास्थ्य, फिटनेस, आत्मकथा, आध्यात्मिक और कथा साहित्य तक कई क्षेत्रों की 1,000 से ज्यादा किताबों का भंडार है। कई पुलिसकर्मी काम करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और हमने उनकी मदद के लिए बुकबैंक बनाने की कोशिश की है और शांतिपूर्वक पढ़ने के लिए जगह भी बनाई है क्योंकि बैरक में पढ़ाई का माहौल नहीं मिल पाता है।’

पुलिसकर्मी और उनके परिवार के सदस्य लाइब्रेरी में अखबार और मैगजीन पढ़ने के लिए जा सकते हैं। लाइब्रेरी में वाई-फाई सुविधा स्थापित होने के बाद से बच्चे वहां से भी ऑनलाइन क्लासेस में भाग ले सकते हैं। किताबों की एक बड़ी संख्या के अलावा, लाइब्रेरी में चार डेस्कटॉप के साथ एक ई-लर्निंग सेंटर भी है जो ऑनलाइन पढ़ाई करने के काम आएगा। एसएसपी ने कहा कि लाइब्रेरी में एंट्री फ्री है। जो लोग अपने नाम से किताब घर ले जाना चाहते हैं, उन्हें मेंबरशिप कार्ड के लिए हर महीने 50 रुपये फीस देना होगा।

पुलिसकर्मियों के लिए वॉशिंग मशीन, गुलाबी बैरक जैसे इंतजाम

एसएसपी अभिषेक यादव ने पहले पांच वॉशिंग मशीन स्थापित की थीं ताकि पुलिसकर्मी अपनी वर्दी धो सकें। महिला पुलिस कर्मियों के लिए एसएसपी ने विशेष गुलाबी बैरक बनाए हैं जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं।

एनकाउन्टरों से अपराधियों में बैठाई दहशत

अभिषेक ने दो जुलाई 2019 को एसएसपी के तौर पर चार्ज लिया था। चार्ज लेने के साथ ही उनके सामने जिले के बड़े अपराधियों पर नकेल कसने की कड़ी चुनौती थी। जिले में आते ही कुख्यात रोहित सांडू ने दरोगा के कत्ल के बाद फरार होकर एक बड़ी चुनौती पेश की थी। 14 दिन में ही उन्होंने रोहित सांडू और उसके गिरोह का सफाया कर शासन का विश्वास और जनता का दिल दोनों जीतने का काम किया। इसके बाद लगतार एनकाउन्टरों में अपराधियों को घायल किया, जिससे उनमें दहशत फैल गई।