बेंगलूरु। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) डीवाई चंद्रचूड़ ने महिला कर्मियों की मुश्किलों का जिक्र करते हुए कहा, वह सुप्रीम कोर्ट की महिला क्लर्कों को मासिक धर्म के दौरान घर से काम करने की छूट देते हैं। उन्होंने कहा, पिछले वर्ष पांच में से चार लॉ क्लर्क महिलाएं थीं। उनके लिए मुझे फोन कर यह कहना आम बात थी कि सर, मुझे इस तरह की परेशानी है, इस पर मैं उन्हें घर से काम करने और स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए कहता था।
सीजेआइ बेंगलूरु के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के 31वें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने लॉ स्टूडेंट्स के सामने आनी वाली दुविधा का जिक्र करते हुए सुझाव दिया कि छात्रों को कानून में किसी रास्ते पर निर्णय लेने की बजाय संभावित रास्ते तलाशने चाहिए। जीवन लंबा है और कानून की संभावनाओं की खोज में कुछ साल लगाने से आपको नुकसान नहीं होगा। प्रत्येक नौकरी कौशल देगी, जिसे दूसरी नौकरी में बदला जा सकता है।
ओएलटी नहीं एफटी
उन्होंने सीजेआइ ने सोशल मीडिया पर युवाओं की ओर से इस्तेमाल भाषा का जिक्र करते हुए कहा, अब ओएलटी (वन लास्ट टाइम) नहीं बल्कि आपके लिए है एफटी (फर्स्ट टाइम)। यानि पहली बार क्लाइंट से बात, कोर्ट का सामना, पहला सैलरी चेक और पहली बार ही आलोचना का सामना।