दिल्ली। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव (VIDHANSABHA CHUNAV) होने हैं, इससे पहले पार्टी राज्य में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर सतर्क है। बताते चले कि एक पक्ष कांग्रेस के कद्दावार नेता सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहता है। वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राज्य इकाई के विधायी विंग का व्यापक समर्थन प्राप्त है। हालांकि पार्टी आलाकमान ने राज्य में संभावित बदलाव पर अबतक कुछ स्पष्ट नहीं किया है। लेकिन राजस्थान प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे के बाद से एक बार फिर अटकलें तेज हो गई है।
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जानकारी हो कि अशोाक गहलोत को बदलने और सचिन पायलट को स्थापित करने का एक प्रयास सितंबर महीने में विफल हो चुका है। इस दौरान पार्टी हाईकमान को शर्मिंदगी के रूप में भी देखा गया था। इसके बाद सचिन पायलट ने तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से भी मिले थे। तब गहलोत कैंप के विधायकों ने हाईकमान को चुनौती देते हुए कहा था कि गहलोत को हटाने के किसी भी प्रयास से राज्य सरकार गिर सकती है।
गहलोत समर्थकों द्वारा अराजकता फैल सकती है
राजस्थान कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी हाईकमान (VIDHANSABHA CHUNAV) को भारत जोड़ों यात्रा से पहले पार्टी नेतृत्व पर फैसले करने की अपील की है। लेकिन राहुल गांधी के राजस्थान पहुंचने से पहले ऐसा निर्णय लेना पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है। कांग्रेस के कुछ नेताओं मीडिया से बात करते हुए यह भी कहा है कि, अगर हाईकमान नेतृत्व में किसी तरह का परिवर्तन करती है, तो भारत जोड़ो यात्रा से पहले गहलोत समर्थकों द्वारा अराजकता फैल सकती है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान (VIDHANSABHA CHUNAV) को इस मुद्दे पर सावधानी से चलने की जरूरत है। गौरतलब है कि पंजाब में विधानसभा चुनाव से ठीक 5 महीने पहले नेतृत्व में बदलाव देखने को मिला था, जहां पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने में विफल रही। यह भी बता दें कि चुनाव के बाद आतंरिक चर्चा में कई नेताओं ने इस बात को स्विकार किया था कि चुनावों के करीब मुख्यमंत्री को बदलने के लिए पार्टी का कदम उचित नहीं था।