धमतरी। जिले में इस साल हुई भारी बारिश (DHAMTARI NEWS) से फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। किसानों ने बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेकर बोनी की थी। प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने आश्वस्त किया है कि जिन क्षेत्रों में भारी बारिश से किसानों को नुकसान हुआ है, वहां सर्वे कराकर क्षतिपूर्ति दी जाएगी, लेकिन धमतरी में सर्वे का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में किसान असमंजस की स्थिति में है।
उल्लेखनीय है कि जिले में इस साल खरीफ सीजन में 1 लाख 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोनी का लक्ष्य रखा गया था। इस साल धान के अलावा दलहन-तिलहन और कोदो कुटकी फसल लेने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की थी, लेकिन बारिश ने इस पर पानी फेर दिया। जून और जुलाई महीने में जिस तरह से रूक-रूककर भारी बारिश हुई, उससे खेती कार्य बुरी तरह प्रभावित हो गया। भू-अभिलेख शाखा के मुताबिक जिले में अब तक 992.2 मिमी औसत बारिश हो चुकी हैं, जिसमें सर्वाधिक बारिश धमतरी, नगरी, मगरलोड और कुकरेल तहसील में दर्ज की गई। इन चारों तहसील में एक हजार मिमी बारिश से ज्यादा बारिश हुई हैं।
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धमतरी तहसील में सबसे ज्यादा 1144.9 मिमी बारिश हुई। अतिवृष्टि के चलते धमतरी ब्लाक (DHAMTARI NEWS) में संबलपुर, तेलीनसत्ती, अर्जुनी, खपरी, श्यामतराई, बागतराई,देमार कंडेल, नवागांव, देवरी, झिरिया आदि गांवों के खेतों में लबालब पानी भर गया। यहां किसान बार-बार खेतों का मेड़ फोड़कर पानी बहाते रहे। इसके बावजूद उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिला। इन गांवों में फसल अब भी पानी में डूबी हुई है। खेतों का पानी निकालने के लिए किसान मेड़ों को तोड़कर जतन भी कर रहे हैं। देवरी के किसान अर्जुन सिंह ओझा, द्वारका ओझा ने कृषि विभाग से फसल क्षति सर्वे कर किसानों को राहत देने की मांग की है।
बकोरी डेम ने डुबाई 50 एकड़ फसल
धमतरी के बाद फसल को सर्वाधिक नुकसान कुरूद और मगरलोड ब्लाक (DHAMTARI NEWS) के गांवों में हुआ हैं। मगरलोड ब्लाक में 1009 मिमी बारिश हो चुकी हैं। इससे यहां मेघा, भोथा, बोरसी, सोनेवारा, पाहंदा, झाझरकेरा, राजपुर, डाभा आदि गांवों में बारिश से फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। फसल बचाने के लिए किसानों को खेतों का मुहाना तोड़कर पानी बाहर करना पड़ा। यही नहीं बकोरी में तो डैम के पानी ने किसानों की मंसूबे पर पानी फेेर दिया। बांध का सुलूस गेट क्षतिग्रस्त होने से 50 एकड़ से ज्यादा रकबे में पानी भर गया।
सर्वे का अता- पता नहीं
उल्लेखनीय है कि पखवाडे़भर पहले सावन की झड़ी में भारी वर्षा के समय जिला प्रशासन ने फसल क्षति सर्वे का निर्देश दिया था, लेकिन यह कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ। यही वजह है कि जिले में अतिवृष्टि से कहां और कितना नुकसान हुआ हैं, इसका आंकलन नहीं किया जा सका। गौरतलब है कि अतिवृष्टि से फसल नुकसान पर राज्य सरकार की ओर से फसल क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है। क्षतिपूर्ति सर्वे नहीं होने से किसानों को मुआवजा का लाभ नहीं मिल पा रहा। किसान जनदर्शन में इसकी शिकायत भी कर रहे है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।